प्रधानमंत्री 13 दिसंबर को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को जनता को समर्पित करने जा रहे हैं. 13 दिसंबर से 14 जनवरी तक काशी में अनेकों कार्यक्रम होंगे, जिसमें बीजेपी के पदाधिकारियों का सम्मेलन, बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को सम्मेलन व देश के सभी महापौर का सम्मेलन भी है. इसके अलावा जिलापंचायत अध्यक्षों का सम्मेलन व सभी धर्माचार्यों का भी सम्मेलन होगा. बीजेपी की नजर एक बार फिर से पूर्वांचल के वोट बैंक को हिंदुत्व के एजेंडे से साधने की है, जिसमें बीजेपी के नजर में तीन केंद्र है एक गोरखपुर, दूसरा आयोध्या और तीसरा वाराणसी.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद गोरक्षा पीठ के महंत है, जो इसमें सबसे हिंदुत्व के सबसे मजबूत चेहरे में से एक हैं. राम मंदिर की उपलब्धि को लेकर बीजेपी के केंद्र व राज्य सरकार जनता के सामने बड़े जोरशोर से उठा रहे हैं. वहीं, वाराणसी को पूर्वांचल की संस्कृतिक राजधानी कहा जाता है. इसका असर बीजेपी 2014 के चुनावों से आजतक देख रही है.
पूर्वांचल में बीजेपी के लिए जातिगत समीकरण साधना पिछली बार की तरह आसान नहीं रहा है, ओमप्रकाश राजभर का अखिलेश यादव से हाथ मिलाना, साथ ही कुछ वर्गों में सरकार से नाराजगी बीजेपी को भारी पड़ सकती है. जिसकी काट अब विश्वनाथ कॉरिडोर बनेगा. पहले से आयोध्या में हिंदुत्व के बिगुल फुंकने वाली पार्टी अब इस कॉरिडोर के माध्यम से इस छवि को और मजबूत बना रही है.
बाबा विश्वनाथ की नगरी से पार्टी को ऊर्जा देने की पटकथा 20 अक्टूबर को बीजेपी के संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने वाराणसी में लिखी थी, जिसको क्रियान्वित गृहमंत्री अमित शाह ने 12 नवंबर को किया और अब धरातल पर प्रधानमंत्री मोदी 13 दिसंबर को उतारेंगे.
Source : Nishant Rai