Advertisment

Election: पाटीदारों के धार्मिक संस्थान क्यों बना गुजरात की राजनीति का Epic सेंटर? 

गुजरात में चुनाव नजदीक है और चुनाव से पहले सभी राजनीतिक दल खुद को मजबूत करने के लिए प्रयास कर रहे हैं. गुजरात की राजनीति में खासकर पाटीदार फेक्टर सबसे मजबूत माना जाता है, क्योंकि गुजरात में पाटीदार समुदाय सबसे बड़ा समुदाय है.

author-image
Deepak Pandey
New Update
EVM

Gujarat politics( Photo Credit : File Photo)

Advertisment

गुजरात में चुनाव नजदीक है और चुनाव से पहले सभी राजनीतिक दल खुद को मजबूत करने के लिए प्रयास कर रहे हैं. गुजरात की राजनीति में खासकर पाटीदार फेक्टर सबसे मजबूत माना जाता है, क्योंकि गुजरात में पाटीदार समुदाय सबसे बड़ा समुदाय है और पाटीदार सामाजिक के साथ आर्थिक तौर पर भी काफी मजबूत हैं. ऐसे में चुनाव से पहले राजनीतिक दलों के नेता पाटीदारों के धार्मिक स्थानों के चक्कर भी लगा रहे हैं, क्योंकि पाटीदारों की राजनीति धार्मिक स्थानों के इर्द-गिर्द रहती है और गुजरात की राजनीति में पाटीदारों की धार्मिक संस्थाओं का काफी हस्तक्षेप देखने को मिलता है.

खासतौर पर गुजरात में दो प्रकार के पाटीदार हैं- कड़वा पाटीदार और लेउवा पाटीदार. उत्तर गुजरात के उंझा में कड़वा पाटीदारों की कुलदेवी उमिया माता का मंदिर है, जबकि सौराष्ट्र में लेउआ पाटीदारों की कुलदेवी के खोडल माता का मंदिर है और चुनाव से पहले पाटीदारों के धार्मिक स्थानों पर काफी राजनीतिक चहल पहल दिख रही है. 

पाटीदारों की दोनों धार्मिक संस्थानों में से खोडलधाम में राजनीतिक चहल-पहल ज्यादा दिख रही है, क्योंकि खोडलधाम के चेयरमैन नरेश पटेल राजनीति में आना चाहते थे. हालांकि, अंत समय पर उन्होंने राजनीति में आने से इनकार कर दिया पर गुजरात की राजनीति में नरेश पटेल की काफी दिलचस्पी है, इसीलिए लगातार खोडल धाम मंदिर में ही नरेश पटेल राजकीय पार्टी के नेताओं के साथ लगातार बैठक भी करते हैं और उनके सपोर्टर को टिकट दिलवाने के लिए भी नरेश पटेल काफी सक्रिय दिखाई देते हैं. इसके अलावा पाटीदारों के मुद्दे को लेकर भी सरकार के साथ नरेश पटेल लगातार संवाद करते हैं.

इस मुद्दे को लेकर उंजा उमिया धाम के मंत्री दिलीप पटेल से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि धार्मिक संस्थान सीधे तौर पर राजनीति में सक्रिय नहीं है. इसके अलावा राजकीय पार्टियों के नेताओं के मंदिर मुलाकात को लेकर उन्होंने कहा की पाटीदारों की धार्मिक भावना मंदिरों के साथ काफी जुड़ी है और राजनीतिक पार्टी के नेताओं को शायद ऐसा लगता होगा कि उनकी कुलदेवी के मंदिर जाने से वो पाटीदारों को अपनी और खींच पाएंगे. 

इसके अलावा दिलीप पटेल ने यह भी कहा कि पाटीदार समाज के मुद्दों को लेकर धार्मिक संस्थानों के नेता सरकार से लेकर सभी राजनीतिक दलों के साथ जब कभी भी जरूरत पड़ती है, तब संवाद भी करते हैं और अपनी बात राजनीतिक दलों के सामने मजबूती से रखते हैं.

साथ ही में राजनीति में पाटीदार समाज के प्रतिनिधित्व को लेकर भी दिलीप पटेल ने कहा बयान देते हुए कहा कि वह चाहते हैं कि राजनीति में पाटीदारों का प्रतिनिधित्व बढ़े और उनके प्रयास रहते हैं कि पाटीदार समाज के ज्यादा से ज्यादा विधायक और सांसद बने इसके लिए भी उनकी धार्मिक संस्थानो के नेता प्रयास करते है इससे यह साफ प्रतीत होता है कि पाटीदारों की धार्मिक संस्था राजनीतिक पार्टियों पर पाटीदारों के प्रतिनिधित्व को लेकर भी दबाव बनाने का काम करती है.

अंत में दिलीप पटेल ने कहा कि पार्टीदारो का झुकाव ज्यादातर भाजपा के साथ रहा है और इस बार गुजरात की राजनीति में आम आदमी पार्टी को लेकर जब सवाल पूछा गया तब दिलीप पटेल ने बताया कि धार्मिक संस्थान पाटीदारों को कोई आदेश नहीं देता है और वह तो अब पाटीदार ही तय करेंगे कि चुनाव में उन्हें किसके साथ रहना है.

दिलीप पटेल ने न्यूज नेशन के साथ बातचीत में साफ तौर पर इशारा कर दिया कि गुजरात की सियासत में पाटीदारों के धार्मिक संस्थानों का काफी हस्तक्षेप है, इसलिए राजनीतिक दल के नेता लगातार पाटीदारों के धार्मिक संस्थानों के चक्कर लगाते हुए नजर आते हैं.

Source : News Nation Bureau

BJP congress AAP Gujarat election Gujarat Politics Gujarat Assembly Election Patidar religious Kadva Patidar Leuva Patidar Patidar religious institution
Advertisment
Advertisment