बिन ब्याही मां, शादी से पहले कोख में आया बच्चा, बनी कुंवारी मां, शादी से पहले हुई थी प्रेंगनेट आदि आदि आदि. इसी हेडलाइन के साथ आज अभिनेत्री कोंकणा सेन को बर्थडे विश किया गया था. चाहे तो आप भी चेक कर सकते हैं बस एक बार गूगल पर कोंकणा सेन ( (Konkona Sen Sharma) डालिए देखिए एक लाइन से महिलाओं पर बड़ें-बड़ें भाषण देने वाले न्यूज साइटों ने इसी हेडलाइन पर खबर बनाई है. कोंकणा सेन हिंदी फिल्मों की एक बेहतरीन अदाकारा के रूप में जानी जाती है, उनकी फिल्मों का एक अलग क्लास होता है लेकिन उनकी पहचान सिर्फ बिन ब्याही मां तक सीमित है.
मैंने कोंकणा सेन की पहली फिल्म 'पेज थ्री' देखी थी जो कि मीडिया और ग्लैमरस दुनिया पर आधारित थी. इस फिल्म में कोंकणा ने एक जर्नलिस्ट का किरदार निभाया था. यकिन मानिए इस फिल्म के बाद वो साधारण सांवली सी दिखने वाली लड़की से प्यार हो गया था. पेज थ्री को मैं अबतक कई बार देख चुकी हूं क्योंकि कुछ फिल्में और किरदार आपको काफी हिम्मत देती है. कोंकणा बॉलीवुड के सुपरस्टार अभिनेत्रियों की गिनती में नहीं आती है लेकिन अभिनय, अच्छी फिल्मों की बात जहां आती है वो वहां सबसे ऊपरी पायदान पर है. कोंकणा सेन को उनके अभिनय के लिए दो बार राष्ट्रीय पुरुस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.
गोर रंग की हिरोइनों के बीच अपनी जगह बनानी वाली कोंकणा ने 'वेकअप सिड', 'लाइफ इन ए मेट्रों' और 'लिपस्टिक अंडर माय बुर्का' जैसी फिल्में कर खुद को साबित किया है कि आखिर में जीत हुनर और मेहनत की ही होती है. लेकिन आज जब उनपर खबरें सिर्फ कुंवारी मां को केंद्रित कर के बनाया जाता है तो अफसोस होता है कि महिलाओं की पहचान सिर्फ उनके निजी जीवन की घटनाओं से होती हैं.
शादी से पहले अगर एक लड़की मां बनती है तो इसमें भागीदारी केवल उसकी ही नहीं बल्कि उसके पार्टनर की भी होती है तो क्या उनपर भी ऐसे खबर बनती होगी फलाना शादी से पहले बना बाप, ये बने थे कुंवारा बाप, दुल्हा बनने से पहले बने थे डैडी आदि आदि आदि. ऐसा नहीं होता हो मैंने देखा है लड़के और अभिनेता के कामयाबी, फिल्में और अवॉर्ड पर बात होती है जबकि लड़कियों और अभिनेत्री के निजी जिंदगी पर कसीदे गढ़ें जाते है, अभिनय और फिल्मों की जगह उनकी बोल्डनेस और हॉट तस्वीरें दिखाई जाती है, अवॉर्ड नहीं बल्कि उनके अफेयर और ब्यॉफ्रेंड के नंबर गिनाएं जाते हैं.
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कोंकणा ही नहीं बल्कि तमाम अभिनेत्रीयों पर इसी तरह की खबरें बनाई जाती है वजह पाठक की दिलचस्पी बताई जाती है. क्या वाकई हमारे देश के मर्द केवल औरतों के बोल्ड और नंगी शरीर को देख कर आंहे भरना चाहती है? उनके निजी जिंदगी और अफेयर की खबरों को पढ़कर चटकारे लेना चाहती है? अगर ऐसा है तो एक तरह से हम भी तो एक बलात्कारी समाज को बनाने में भागीदार बन रहे हैं.
महिलाएं शरीर से ऊपर है चाहे वो एक आम लड़की हो या फिल्म अभिनेत्री. उनके हुनर और कामयाबी को भी उतनी ही पहचान मिलनी चाहिए जितनी एक पुरुष अभिनेता को दी जाती है. बॉलीवुड की दूसरी अभिनेत्रियों को भी कोंकणा सेन जैसे लोगों से प्रेरित होकर हीरों के बिस्तर से उठकर अभिनय के मैदान में आकर फुल कैमरा और हॉल में छा जाना चाहिए.
(लेखक के ये निजी विचार हैं वेबसाइट्स से इसका कोई संबंध नही है)