भारतीय सेना को लेकर केंद्र सरकार ने 14 जून 2022 को एक बड़े बदलाव की घोषणा की और इस बदलाव को अग्निपथ नाम दिया. भारतीय सशस्त्र बलों में युवाओं को नए तरीके से सेवा करने का अवसर प्रदान करने की घोषणा करते हुए केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ये एक परिवर्तनकारी पहल है और इस योजना से देश की सेना को युवा प्रोफाइल मिलेगा, लेकिन सरकार की घोषणा खत्म भी नहीं हुई थी कि देश भर में अलग-अलग राज्यों से इसके विरोध की खबरें भी मिलने लगीं और लोग इस बात के पक्ष और विपक्ष में बंट गए.
सरकार की घोषणा का विरोध करने में विपक्ष ने भी देर नहीं किया और इसको वापस लेने की मांग कर दी, लेकिन क्या ये योजना बिना किसी तैयारी के लागू की गई, क्या इस पर सोच विचार नहीं हुआ और क्या ये योजना देश के युवाओं को लुभाने में नाकाम है. इस सवाल के जवाब को हमको कई तरह से विचार करना होगा.
देश की सेनाओं को लंबे से समय से आर्थिक संसाधनों की कमी से जूझना पड़ रहा था. सरकार की ओर से रक्षा बजट का ज्यादा बड़ा हिस्सा पेंशन और अन्य भत्तों पर ही खर्च हो रहा था जिसके चलते सेना के आधुनिकीकरण की प्रक्रिया लगभग थम सी गई थी. साल 2022-23 के रक्षा बजट को देखे तो ये बात साफ दिखाई देती है.
सेना का कुल बजट 5,25,166 करोड़ है, लेकिन इसमें से 42 फीसदी यानी 1,27,693 करोड़ रपूये सैलरी, 1,02,808 करोड़ रुपये पेंशन और महज 8 फीसदी यानी 25,909 करोड़ रुपये आधुनिकीकरण के लिए है, जोकि इस वक्त के सीमाओं के और भविष्य की चुनौतियों के सामने ऊंट के मुंह में जीरे के बराबर है.
इसके साथ ही सेना की औसत आयु को भी कम करने का लक्ष्य इस योजना से साधा गया है. दरअसल, इस तरह से रिफार्म बहुत लंबे समय से पैंडिग थे. इन पर 1989 से काम शुरू किया गया था. बहुत-सी योजनाओं के साथ काम किया जा रहा था. पहले कमांडिग ऑफिसर की उम्र कम करने पर काम शुरू किया गया टीथ टू टेल रेश्यों को कम किया गया.
कारगिल रिव्यू कमेटी में अरुण सिंह कमेटी के सीडीएस के गठन पर काम किया गया. और इस प्रक्रिया को आगे बढाते हुए सेना की औसत उम्र को कम करने का काम शुरू किया गया. हमारी सेना की औसत उम्र 32 वर्ष को कम कर 26 साल तक लाने का लक्ष्य साधने के लिए इस योजना को तैयार किया गया.
इस योजना में बदलते वक्त के युद्ध की जरूरतों को देखकर एक ट्रैनिंग प्रोग्राम भी तैयार किया गया, जिसके सहारे इन नौजवानों को कुछ समय में ही युद्ध के लिए तैयार कर मोर्चों पर भेजा जा सकता है. साथ ही हर साल 45 हजार नौजवानों को अग्निवीर के माध्यम से भर्ती कर इसे आगामी कुछ सालों में लाख तक पहुंचाया जा सकता है. अग्निवीर को एक एट्री लेवल के लिए तैयार किया गया है और इन युवाओं को इस तरह से प्रशिक्षण दिया जाएगा कि चार साल बाद जब इन अग्निवीरों में से 75 फीसदी बाहर आएंगे तो वो आसानी से दूसरे जॉब्स में सलेक्ट हो सके.
अग्रिवीरों को तैयार करने में या भर्ती करने में किसी भी तरह का ढिलाई नहीं की गई है. सरकार ने इस कोर्स के इस तरह से तैयार की है कि 25 फीसदी नौजवान चार साल की परफार्मेंस के आधार पर सेना में रेग्लुयर सर्विस के लिए सलेक्ट होंगे. बचे हुए नौजवानों के लिए भी सरकार ने इस तरह से योजनाएं बनाई हैं कि ज्यादातर जवान वापस पैरामिलिट्री या फिर राज्य पुलिस में सलेक्शन के लिए तैयार होंगे. केंद्रीय सुरक्षा बलों, आसाम राइफल्स, कोस्टगार्ड और डिफेंस के दूसरी सिविलनय जॉब्स में सरकार ने अग्निवीरों के लिए आरक्षण या फिर वरीयता की घोषणा भी की है.
अभी भी केंद्रीय सुरक्षा बलों में लाख से ज्यादा पदों की वैकेंसी है. ऐसे में ये प्रशिक्षित जवान अपनी योग्यता को वहां देश के लिए काम में लाएंगे. राज्य पुलिस में भर्ती के लिए भी राज्यों की ओर से प्रावधान किए जा रहे हैं. इसके साथ साथ बहुत से युवा जो इस एक्सपोजर के बाद अपने आप को किसी दूसरे धंधे में या फिर बिजनेस में स्थापित करना चाहते हैं उनको इसके लिए सरकार की ओर से योजनानुसार मदद की जाएगी. यहां तक कि बैंकों से अपना बिजनेस शुरू करने के लिए आसान शर्तों पर कर्ज देने की सुविधा है. सरकार ने सुविधा है.
इस योजना के तहत आने वाले नौजवान तीस हजार रुपये के वेतन से शुरुआत कर चौथे साल में 40 हजार रुपये का वेतन हासिल कर पाएंगे. इसके साथ ही बीमा करव होगा. सेना से निकलते वक्त सेवा निधि पैकेज के तौर पर 11.71 लाख रुपये जो आयकर छूट के साथ मिलेंगे. देश को भी इस तरह से नौजवानों की एक बड़ी संख्या तैयार मिलेगी, जो समाज के अलग-अलग हिस्सों में अपनी सार्थक भूमिका को निभाने के लिए तैयार होगी.
Source : Dhirendra Pundir