भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) इसी महीने अमेरिकी की राजकीय यात्रा पर जाएंगे. मोदी के 9 साल के कार्यकाल में ये पहली बार है जब उन्हें अमेरिकी प्रेजीडेंट ने राजकीय यात्रा का न्योता दिया है. मोदी की ये पांच दिन की अमेरिका यात्रा भारत और अमेरिका के बीच मजबूत होते रिश्तों की एक बड़ी नजीर है. इसी बीच खबर आई है कि मोदी 22 जून को अमेरिका की कांग्रेस यानी वहां की संसद के संयुक्त अधिवेशन को भी संबोधित करेंगे. इस बात की जानकारी खुद अमेरिकी कांग्रेस के स्पीकर कैविन मैक्केर्थी ने ट्वीट करके दी.
ये कोई पहला मौका नहीं होगा जब भारत के कोई पीएम अमेरिकी कांग्रेस के ज्वाइंट सेशन को संबोधित करेंगे. इससे पहले छह बार ऐसा मौका आया है जब भारत के पीएम को ये सम्मान मिला हो. लेकिन ये खबर इसलिए खास है क्योंकि मोदी को ये सम्मान दूसरी बार हासिल हो रहा है. अमेरिकी कांग्रेस में इससे पहले बस गिने-चुने विदेशी लीडर्स को ही एक से ज्यादा बार संबोधित करने का मौका मिला है. उनमें ब्रिटेन के पूर्व पीएम विंस्टन चर्चिल, साउथ अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला और इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतनयाहू और यित्जाक रेबिन ही शामिल हैं. नेतन्याहू ने तीन बार और यित्जाक रेबिन ने दो बार अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित किया है.
इजरायल तो अमेरिका के सबसे करीब देशों में से एक है, लेकिन विंस्टन चर्चिल और नेल्सन मंडेला का दुनिया के मंच पर रुतबा भी किसी से छुपा नहीं है. ऐसे में सवाल है कि क्या अमेरिका भारत के पीएम मोदी को चर्चिल और मंडेला की टक्कर का वर्ल्ड लीडर मानने लगा है और अगर मानने लगा तो क्या मोदी की ये अमेरिका यात्रा भारत और अमेरिका के रिश्तों को एक नई पहचान देने के लिए याद की जाएगी.
हम ये बात इसलिए कह रहे हैं क्योंकि विंस्टन चर्चिल और नेल्सन मंडेला दुनिया के ऐसे दो बड़े लीडर्स रहे है, जिनकी छाप दुनिया के इतिहास में हमेशा देखने को मिलेगी. विंस्टन चर्चिल ने अमेरिकी कांग्रेस को तीन बार संबोधित किया. चर्चिल ने साल 1941, 1943 और 1952 में अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित किया.
चर्चिल को दूसरे विश्वयुद्ध का हीरो माना जाता है. 1940 के दशक की शुरुआत में जब पूरा यूरोप जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर के सेना के आगे हार मान चुका था, ऐसे वक्त में ब्रिटेन के पीएम विंस्टन चर्चिल हार ना मानते हुए जर्मनी से टक्कर लेने का हौसला दिखाया और आखिरकार दूसरे विश्व युद्द में जर्मनी की हार हुई. माना जाता है कि अगर चर्चिल की विल पावर ना होती तो शायद हिटलर दुनिया का नक्शा हमेशा के लिए बदल देता.
वहीं, साउथ अफ्रीका के महान लीडर नेल्सन मंडेला को नस्लभेद के खिलाफ उनकी लड़ाई के लिए हमेशा याद किया जाएगा. अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त अधिवेशन को दो बार यानी 1990 और 1994 में संबोधित करने वाले नेल्सन मंडेला को साउथ अफ्रीका की नस्लभेदी सरकार ने 27 साल जेल में रखा था, लेकिन आखिरकार वो अपने मुल्क में नस्लभेद को खत्म कराने में कामयाब रहे.
दुनिया के ऐसे दो बड़े लीडर्स की ही तरह अब भारत के पीएम मोदी भी दूसरी बार अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित करने जा रहे हैं. लिहाजा ये सवाल उठना लाजिमी है क्या अमेरिका ने मोदी को एक बड़े वर्ल्ड लीडर के तौर पर कबूल कर लिया है. यहां गौर करने वाली बात ये है कि ये वही अमेरिका है जिसने कई सालों तक नरेंद्र मोदी को अमेरिका आने का वीजा तक नहीं दिया था.
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लेकिन शायद अब अमेरिका भारत की शक्ति नरेंद्र मोदी की पॉपुलरिटी से पूरी तरह परिचित हो गया है. इससे पहले भी भारत के पांच पीएम अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित कर चुके हैं. देश के पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू, राजीव गांधी, पीवी नरसिम्हाराव, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह को एक-एक बार ये मौका मिल चुका है, लेकिन मोदी को दोबारा अमेरिका कांग्रेस को संबोधित करने के लिए बुलाना एक वर्ल्ड लीडर के तौर पर उनका पहचान को और ज्यादा पुख्ता कर रहा है.
सुमित दुबे की रिपोर्ट
Source : News Nation Bureau