CAA: केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है. इसके साथ ही नागरिकता संबंधी यह कानून देशभर में लागू हो गया है. यूं तो देश में सीएए को लेकर मिलाजुला असर देखने को मिल रहा है, लेकिन कुछ राज्यों में इस कानून को लेकर विवाद बढ़ गया है. वेस्ट बंगाल और केरल जैसे कुछ राज्यों ने साफ कर दिया है कि वो अपने यहां सीएए कानून को लागू नहीं होने देंगे. ऐसे में सीएए से जुड़ी खबरों पर बारीकी से नजर रखने वाले लोगों के मन में सवाल है कि क्या राज्य सरकारें संसद से पारित कानून को अपने यहां लागू करने से रोक सकती हैं? इस सवाल का जवाब देने के लिए हमें अपने संविधान का संज्ञान लेना होगा.
क्या राज्य सरकारों के पास कानून न लागू करने शक्ति?
दरअसल, भारतीय संविधान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी राज्य नागरिकता संशोधन कानून को अपने यहां लागू करने से इनकार नहीं कर सकता. क्योंकि नागरिकता संघ सूची का विषय है, न कि राज्य सूची का. संविधान के अनुसार भारत का कोई भी राज्य सीएए को लागू करने से मना नहीं कर सकते हैं. क्योंकि नागरिकता संघ सूची से जुड़ा विषय है. यह राज्य सूची का विषय नहीं है, इसलिए राज्य सरकारें इस पर रोक नहीं लगा सकती हैं. संविधान के आर्टिकल 246 में संसद और राज्य विधानसभाओं के बीच विधायी शक्तियों का विभाजन किया है, जिसकें नागरिकता संघ सूची के अंतर्गत आता है.
राज्य सरकारों के खिलाफ क्या विकल्प शेष?
तो क्या ऐसे में राज्य सरकारों के खिलाफ कोई विकल्प शेष नहीं रह जाता? विशेषज्ञों की मानें तो राज्यों को संसद से पारित इस कानून को लागू करना ही होगा. जहां तक उनके विरोध और शिकायतों का सवाल है तो उनके पास हमेशा सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प मौजूद है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट को किसी भी कानून का रिव्यू करने का अधिकार है. शीर्ष अदालत को लगता है कि कोई कानून देश के नागरिकों के अधिकारों का हनन कर रहा है तो कोर्ट उस कानून को खत्म करने का आदेश दे सकता है. इस बीच अगर राज्य सरकारों को लगता है कि सीएए नागरिकों के अधिकारों का अतिक्रमण करता है तो वो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून को संविधान की 7वीं अनुसूची के तहत लागू किया गया है. संघ सूची की 7वीं अनुसूजी के अतंर्गत नागरिकता समेत 97 विषयों को रखा गया है.
क्या है CAA
नागरिकता संशोधन कानू यानी सीएए को लेकर केंद्र सरकार ने 11 मार्च को अधिसूचना जारी कर दी है. इसके साथ ही CAA कानून देशभर में लागू हो गया है. CAA कानून भारतीय संसद से 2019 में पारित हो गया था. लेकिन पहले विरोध प्रदर्शन और फिर कोरोना संक्रमण के चलते CAA को लागू नहीं किया जा सका था. CAA का मकसद तीन देशों (बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान) में धार्मिक उत्पीड़न के शिकार ऐसे लोगों को भारत की नागरिकता देना है, जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आ गए हों. CAA कानून में इन देशों से आए गैर मुस्लिम (हिंदू, सिख, जैन, पारसी और ईसाई) शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान है.
Source : News Nation Bureau