वैक्सीनेशन का ऐतिहासिक आंकड़ा, 1000000000 में से याद रखें सिर्फ ‘एक’

1000000000 में शुरुआत में ही मौजूद ‘एक’ ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि बाकी सब शून्य है. सौ करोड़ वैक्सीन लगाए जाने का जश्न मनाते वक्त भी एक ही बात ध्यान रखी जानी चाहिए कि कोरोना अभी गया नहीं है और कोरोना से बचने का अभी तक का एकमात्र तरीका टीका ही है.

author-image
Deepak Pandey
New Update
vaccination

कोरोना वैक्सीनेशन( Photo Credit : फाइल फोटो)

Advertisment

1000000000 में शुरुआत में ही मौजूद ‘एक’ ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि बाकी सब शून्य है. सौ करोड़ वैक्सीन लगाए जाने का जश्न मनाते वक्त भी एक ही बात ध्यान रखी जानी चाहिए कि कोरोना अभी गया नहीं है और कोरोना से बचने का अभी तक का एकमात्र तरीका टीका ही है. वैक्सीन यात्रा भारत में ही बनी दो वैक्सीन कोवैक्सीन औऱ कोविशील्ड के साथ इसी साल जनवरी में शुरु हुई थी. लक्ष्य बड़ा था और वक्त कम, इस पर भी मुकाबला घात लगाए बैठे कोरोना वायरस से लगातार जारी था. वैक्सीन को लेकर भारत के साथ ही दुनियाभर में चल रहे विवाद औऱ भ्रांतियों ने वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी की दीवार खड़ी करने के रास्ते में कई रोड़े अटकाए. 

अटकाव और भटकाव के बीच पहले के मुकाबले ज्यादा घातक ‘दूसरी लहर’ ने भी दस्तक दे दी और देश ने अस्पतालों में बिस्तरों की कमी और आक्सीजन के आभाव में सांसों के संकट को भी झेला. सड़कों पर एम्बूलेंस के सायरन, अस्पतालों के बाहर बेसुध लाचार पड़े मरीजों की चीख पुकार, आक्सीजन लिए मची मारामारी और श्मशान में धधकती चिताओं में नज़र आ रहे महामारी के तांडव से देश दहल गया. ‘सिस्टम’ लाचार नज़र आ रहा था और ऐसे में उम्मीद की कोई किरण थी, तो वो वैक्सीन. भले ही वैक्सीन कोरोना के खिलाफ 100 फीसदी बचाव की गारंटी न हो, लेकिन जो भी एक उम्मीद थी वो वैक्सीन ही थी. कई शोध, तमाम अध्ययन औऱ महामारी के दौरान मिले अनुभव सभी में एक चीज़ वैक्सीन ही थी, जो कोरोना वायरस से बचने के लिए ढाल साबित हो रही थी.

डर और दहशत के माहौल ने वैक्सीन को लेकर जो हिचक थी, उसे तोड़ दिया. सियासत थी उसे कमजोर किया औऱ वैक्सीन पर भरोसे को मजबूत किया. वैक्सीन लगवाने के लिए कतारें लगना शुरू हुईं और कोरोना वायरस से देश की लड़ाई युध्दस्तर पर एक बार फिर शुरु हुई. दूसरी लहर में सिस्टम की लाचारी की निराशा से बाहर निकलने का रास्ता भी वैक्सीन से ही निकलना था, क्योंकि दबे पांव कोरोना का जो दूसरा अटैक हुआ, उसने तीसरी लहर की आशंका जनमानस के मन में गहरे तक बैठा दी. बीते वक्त का डर औऱ भविष्य की आशंका वैक्सीनेशन के आंकड़ों में ज़ाहिर भी हुई.

जनवरी 2021 में 2 लाख प्रतिदिन डोज़ के औसत के साथ शुरु हुआ वैक्सीनेशन मार्च तक सुस्त ही रहा था, अप्रैल में कोरोना वायरस के फिर से जोर पकड़ने के साथ ही वैक्सीनेशन के आंकड़ों में भी रफ्तार आई. मार्च के 16 लाख डोज़ प्रतिदिन के मुकाबले अप्रैल में आंकड़ा 29 लाख के औसत तक पहुंच गया. अप्रैल 2021 में 8.8 करोड़ टीके लगे. दूसरी लहर के बाद टीका लगवाने को लेकर लोगों का जो रुझान दिखा, उससे सरकार के सामने वैक्सीन की उपलब्धता का संकट भी पैदा हो गया, आंकड़ों में भी यह दिखा, क्योंकि मई महीने में सिर्फ 6 करोड़ टीके लगे, जो अप्रैल के मुकाबले करीब 25 फीसदी कम थे, जबकि वैक्सीनेशन सेंटर्स पर लंबी लंबी कतारें लगी हुई थी और लोगों को बिना वैक्सीन लगवाए लौटना भी पड़ा. सरकार दोहरी चुनौती से जूझ रही थी, एक तो दूसरी लहर में सिस्टम के ढह जाने की आलोचना, दूसरी तरफ वायरस से लड़ने के साथ ही बचाव के लिए वैक्सीन का इंतज़ाम.

जून के बाद वैक्सीनेश ने एक बार फिर रफ्तार पकड़ी, जून में 11.9 करोड़, जुलाई में 13.3 करोड़, अगस्त में 19 करोड़, सितंबर में 23.7 करोड़ वैक्सीनेशन के साथ अक्टूबर में 21 तारीख को ऐतिहासिक आंकड़ा भारत ने छू लिया. इस ऐतिहासिक आंकड़े को हासिल करने के दौरान कई चुनौतियां, भ्रम भ्रांतियां और परिस्थितियां सामने आईं, लेकिन मकसद सदी की सबसे बड़े संकट से निपटना है, इसीलिए सौ करोड़ की संख्या में बात सिर्फ एक ही याद रखनी है, कि कोरोना वायरस आपके आसपास ही है औऱ बचाव का हथियार अभी सिर्फ वैक्सीन है.  

Source : Kapil Sharma

corona-vaccine corona-vaccination Coronavirus in India Coronavirus Vaccine Covid-19 vaccination
Advertisment
Advertisment
Advertisment