"सरवाइवर्स एंड लीडर्स ऑन सोशल प्रोटेक्शन”में वैश्विक नेताओं ने कोविड-19 महामारी के दौरान पूरी दुनिया में बाल मजदूरी और बच्चों के शोषण बढ़ने पर गंभीर चिंता जाहिर की. वैश्विक नेताओं ने एक सुर में कहा कि हमें दुनियाभर के वंचित और हाशिए के बच्चों की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी और विश्व समुदाय को गरीबी दूर करने के लिए तत्काल कारगर कदम उठाने होंगे.इस अतंरराष्ट्रीय परिसंवाद में गरीब देशों के वंचित और हाशिए के बच्चों को संसाधनों का उचित हिस्सा (फेयर शेयर) देने और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक ‘वैश्विक सामाजिक सुरक्षा कोष’ स्थापित करने की भी मांग की गई.
28 सितम्बर 2021 को गरीबी उन्मूलन के लिए नौकरियों और सामाजिक सुरक्षा पर दुनिया के राष्ट्राध्यक्षों और सरकार के प्रमुखों की बैठक होने जा रही है. यह बैठक संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस द्वारा अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के साथ मिलकर आयोजित की जा रही है.जिसमें कोविड-19 के दौरान और उसके बाद दुनिया के विकास के लिए दी जाने वाली आर्थिक सहायता के लिए की जाने वाली पहल पर बातचीत होगी. परिसंवाद में आए महत्वपूर्ण सलाहों को कैलाश सत्यार्थी राष्ट्राध्यक्षों की बैठक में रखने का निर्णय किया है.
‘लॉरियेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रेन’ द्वारा “फेयर शेयर टू इंड चाइल्ड लेबर- सरवाइवर्स एंड लीडर्स ऑन सोशल प्रोटेक्शन” नामक इस ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) एवं स्वीडन सरकार और नार्वे के विदेश मंत्रालय ने संयुक्त रूप से किया. इस परिसंवाद में आईएलओ के महानिदेशक गाई राइडर, स्वीडन के प्रधानमंत्री स्टीफन लोफवेन, नार्वे के अंतरराष्ट्रीय विकास मंत्री डाग इंगे उलस्टीन, तिमोर लेस्ते के पूर्व राष्ट्रपति और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता जोस रामोस होर्ता, जर्मनी के फेडरल मिनिस्ट्री ऑफ लेबर एंड सोशल अफेयर के परमानेंट स्टेट सेकेट्री बीजॉन बोहनिंग, प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और संयुक्त राष्ट्र संघ के सस्टेनेबल डेवलपमेंट सल्युसन्स नेटवर्क के अध्यक्ष जैफरी सैक्स, यूनेस्को की असिस्टेंट डायरेक्टर जनरल (शिक्षा) स्टेफेनिया जियाननी, प्रसिद्ध मानवाधिकार कार्यकर्ता और राबर्ट एफ कैनेडी ह्यूमन राइट्स की अध्यक्ष कैरी कैनेडी, वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन की डिप्टी डायरेक्टर जनरल डॉ सुसाना जकब और इंटर पार्लियामेंटरी यूनियन के महासचिव मार्टिन चुंगोंग सहित दुनिया के करीब दो दर्जन वैश्विक नेताओं ने हिस्सा लिया. इस मौके पर इस अंतरराष्ट्रीय मंच से संयुक्त राष्ट्र संघ के जनरल असेंबली में शामिल होने वाले तमाम देशों के नेताओं से अपील की गई की वे बच्चों की सामाजिक सुरक्षा के लिए फौरन नीतियां और कार्यक्रम बनाएं.
दो दशकों में पहली बार बाल श्रमिकों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है. मौजूदा हालात और प्रगति को देखते हुए सन 2025 तक बाल श्रम के सभी रूपों को खत्म करने की विश्व समुदाय की प्रतिबद्धता पर जो एक बड़ा़ सवाल खड़ा हुआ है, उस पर भी गंभीर चिंता व्यक्त की गई.उल्लेखनीय है कि इन संकटों ने संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को 2030 तक प्राप्त करने में भी एक चुनौती पैदा कर दी है. वैश्विक वक्ताओं ने एक ओर जहां समाज के सबसे हाशिए पर रहने वाले बच्चों के लिए सामाजिक सुरक्षा निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि की मांग की, वहीं दूसरी ओर उन्होंने कम आय वाले देशों के लिए एक वैश्विक सामाजिक सुरक्षा कोष की स्थापना पर भी बल दिया.
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स्वीडन के प्रधानमंत्री स्टीफन लोफवेन ने शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा पर जोर दिया.स्टीफन लोफवेन ने कहा, ‘‘स्कूल के खाली डेस्क का मतलब है कि बच्चे बाल मजदूरी कर रहे होंगे.बाल श्रम को समाप्त करने के लिए जरूरी है कि बच्चे स्कूल में हों और वयस्कों को हम ऐसी सामाजिक सुरक्षा प्रदान करें जो उन्हें अच्छे वातावरण में काम करने के लिए प्रेरित करें.हमें गरीबों को फोकस करना चाहिए.स्वीडन अंतरराष्ट्रीय सहायता के लिए आगे भी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करता रहेगा.हमें सप्लाई चेन से बाल श्रम को समाप्त करने के लिए काम करना होगा.’’वहीं अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के महानिदेशक गाई राइडर ने भी सामाजिक सुरक्षा पर जोर दिया.उन्होंने कहा, "हम बच्चों और उनके परिवारों के लिए पर्याप्त सामाजिक सुरक्षा का प्रावधान करके ही आगे बढ़ सकते हैं.जिसका हम अतीत में प्रावधान करने में अक्षम रहे.’’
दुनिया में बढ़ती समानता और बाल श्रम की समस्या पर ध्यान आकर्षित करते हुए कैलाश सत्यार्थी ने कहा, "वैश्विक नेताओं में यह कहने का नैतिक साहस होना चाहिए कि हां, हम अपने बच्चों के लिए कुछ भी करने में असमर्थ रहे हैं और हम उसके लिए जिम्मेदार हैं.कोई तो इसकी जिममेदारी ले कि एक ओर जहां दुनिया की संपत्ति में 10 ट्रिलियन डॉलर से अधिक का इजाफा हो गया हो, वहीं दूसरी ओर 10 हजार बच्चे प्रति दिन बाल मजदूरी और गुलामी के दलदल में धकेले जा रहे हैं.हम मुक्त बाल मजदूर, छात्र, नोबेल पुरस्कार विजेता, ट्रेड यूनियन बच्चों के लिए दरवाजे खटखटाते रहेंगे.यह हमारे बच्चों के लिए ‘सामाजिक सुरक्षा का वैश्वीकरण’ करने का समय है."
दुनियाभर में लगभग तीन चौथाई बच्चे और कम आय वाले देशों में नब्बे प्रतिशत बच्चे बगैर किसी सामाजिक सुरक्षा के जीने को अभिशप्त हैं.अंतरराष्ट्रीय सहायता में सामाजिक सुरक्षा के लिए दी जाने वाली राशि में अत्यधिक कमी है.संयुक्त राष्ट्र सस्टेनेबल डेवलपमेंट सॉल्यूशंस नेटवर्क के अध्यक्ष और प्रसिद्ध अर्थशात्री जेफरी सैक्स ने कहा, "बच्चों की वर्तमान स्थिति दिल दहला देने वाली और घृणित है.बच्चों की शिक्षा के लिए हमें अब वित्तीय संसाधन जुटाने होंगे.अगर वे स्कूल में होंगे, तो बाल श्रम नहीं कर रहे होंगे.’’
बाल श्रम खत्म करने में भी सामाजिक सुरक्षा एक कारगर हथियार है.लेकिन इस पर बहुत कम पैसा खर्च किया जा रहा है.सामाजिक सुरक्षा के लिए विदेशी विकास सहायता के मद में साल 2017 में अमीर देशों की सकल राष्ट्रीय आय का महज 0.0047 प्रतिशत ही दिया गया.जो मामूली है.नार्वे के अंतर्राष्ट्रीय विकास मंत्री डाग-इंगे उलस्टीन ने कहा, ‘‘हमें 2025 तक बाल श्रम को समाप्त कर देना है.लेकिन प्रत्येक दिन 10 हजार बच्चे बाल श्रम करने के लिए मजबूर किए जा रहे हैं और उन्हें इससे मुक्त करने की कोशिश भी नहीं हो रही है.यह समय है उन्हें ‘फेयर शेयर’ उपलब्ध कराने के लिए कदम उठाने का.इसमें सामाजिक सुरक्षा महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है.’’ कम आय वाले देशों में सामाजिक सुरक्षा के कार्यों और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए वैश्विक सामाजिक सुरक्षा कोष बनाने की मांग की गई.
HIGHLIGHTS
- 2025 तक बाल श्रम को समाप्त करने का संकल्प लेकिन प्रत्येक दिन 10 हजार बच्चे बाल श्रम करने के लिए मजबूर
- वैश्विक नेताओं को यह कहना चाहिए कि हां, हम अपने बच्चों के लिए कुछ भी करने में असमर्थ रहे हैं
- बच्चों की वर्तमान स्थिति दिल दहला देने वाली और घृणित है