यह एक ऐसा फैसला रहा जिस पर क्रिकेट प्रशंसक समेत दिग्गज तक अचंभित और रोष में हैं. स्पिन, फ्लाइट, टर्न, बाउंस के साथ सटीकता सरीखे एक शीर्ष श्रेणी के स्पिनर संग जुड़ने वाले सभी विशेषण कुलदीप यादव पर चटगांव में बांग्लादेश के खिलाफ पहले टेस्ट के बाद सही बैठते हैं. उन्होंने न सिर्फ टेस्ट में 21 महीने बाद वापसी करते हुए 8 विकेट झटके, बल्कि 40 रनों की मैच जिताऊ पारी भी खेली. इसके लिए उन्हें मैन ऑफ द मैच भी चुना गया, लेकिन मीरपुर के दूसरे टेस्ट में उन्हें बैंच पर बैठा दिया गया. उनकी जगह 12 साल में पहले महज एक टेस्ट खेलने वाले जयदेव उनादकट को टीम में शामिल कर लिया गया. दक्षिण अफ्रीका के सेंचुरियन में खेले 2010 के उस टेस्ट में जयदेव ने 101 रन दिए थे, वह भी बगैर किसी विकेट के.
राजनीति का शिकार तो नहीं हो रहे कुलदीप!
जाहिर है टेस्ट कप्तान केएल राहुल का यह फैसला क्रिकेट प्रशंसकों के साथ तमाम दिग्गज क्रिकेटर्स को भी हजम नहीं हुआ. 'लिटिल मास्टर' सुनील गावस्कर तो कहने से नहीं चूके कि "वह बस अपशब्दों का इस्तेमाल" नहीं कर रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा, "यह एक अविश्वसनीय फैसला है". राइट हैंड ऑफ स्पिनर 'टर्बिनेटर' हरभजन सिंह तो कुलदीप को बेहद कड़वी सलाह देने से भी नहीं चूके. उन्होंने कहा, "कुलदीप को अब मैन ऑफ द मैच पुरस्कार लेना ही बंद कर देना चाहिए. ऐसा तभी होगा, जब वो पारी में कभी 5 विकेट ले ही न. शायद तभी उन्हें लगातार दो टेस्ट मैचों में खेलने का मौका मिल जाए!" कुलदीप यादव को टीम से बाहर करने के बाद सिर्फ दिग्गज ही नहीं, बल्कि आम क्रिकेट प्रशंसक भी काफी नाराज हैं. सोशल मीडिया पर तो बाकायदा कुलदीप यादव को बाहर करने की वजह से राहुल द्रविड और कप्तानी संभाल रहे केएल राहुल के खिलाफ लोगों ने जमकर गुस्सा निकाला. उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि कुलदीप यादव को राजनीति का शिकार बनाया जा रहा है.
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हमेशा तीसरे स्पिनर बतौर ही एकादश में क्यों
कह सकते हैं कि जयदव उनादकट को लेकर कुलदीप यादव को दूसरे टेस्ट में बाहर करने का यह ऐसा निर्णय नहीं है, जो टेस्ट मैच के परिणाम को प्रभावित कर सके. फिर भी यह इसलिए एक बड़ा मसला है कि कैसे एक गेंदबाज जिसे आत्मविश्वास और समर्थन की सख्त जरूरत थी, उसे फिर से बाहर कर दिया गया. कलाई के जादूगरों को आमतौर पर एक सहानुभूति रखने वाले कप्तान की जरूरत रहती है. कुलदीप भी इसका अपवाद नहीं हैं. ध्यान करें आईपीएल के एक मैच में कुछ छक्के खाने के बाद कुलदीप मैदान पर ही 'बिखर' गया था. अब चटगांव के बाद यह फैसला उसके मनोबल को नए सिरे से तोड़ने सरीखा रहा. कुलदीप की दुर्दशा से पता चलता है कि भारत में खेल की क्या स्थिति है. वैसे, आपको ये भी याद दिला दें कि बीते कुछ समय पहले तक भी कुलदीप के साथ ऐसा ही व्यवहार होता रहा है. उसे कभी टेस्ट टीम में शामिल ही नहीं किया जाता था, किया भी गया तो तीसरे स्पिनर के तौर पर. फिर करीब दो साल तक वो हर तरह की टीम से बाहर हो गया. उस समय भी उसे किसी ने समर्थन नहीं दिया था, लेकिन कुलदीप न सिर्फ जमकर लड़ा, बल्कि पहले आईपीएल बल्कि अक्टूबर महीने में साउथ अफ्रीका के खिलाफ ओडीआई सीरीज में शानदार प्रदर्शन करके वापस लौटा था.
आंकड़े बयां कर रहे कुलदीप के साथ हुई नाइंसाफी की कहानी
कुलदीप के साथ बीते कुछ सालों में कैसी नाइंसाफी हुई है, उसे इस बात से जान लें कि इतने शानदार बॉलर, जिसकी युजवेंद्र चहल के साथ जोड़ी 'कुल्चा' के नाम से मशहूर थी, उसे साल 2019 में महज 2 टी20 इंटरनेशनल मैच खेलने का मौका मिला. यही नहीं, साल 2020 में भी उस खिलाड़ी के हिस्से 2 ही मैच आए तो साल 2021 में भी उसे सिर्फ 2 मैचों के लायक समझा गया और अब साल 2022 भी बीच चुका है, तो इस साल भी उसे महज 2 ही मैचों में खेलने का मौका मिला. उसमें भी अगस्त महीने में खेले गए आखिरी टी20 इंटरनेशनल मैच में उसने तीन विकेट हासिल किये थे. अब बात एकदिवसीय मैचों की कर लें तो 2020 में 5, 2021 में 4 और 2022 में 8 मैचों में मौका मिला, लेकिन अपने छोटे से 8 टेस्ट मैचों के करियर में 34 विकेट लेने वाले कुलदीप को 2017 में दो मैच, 2018 में 3 मैच, 2019 में एक मैच, 2020 में शून्य मैच, 2021 में महज एक मैच और साल 2022 में भी महज एक ही मैच खेलने का मौका मिला है.
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कभी शास्त्री ने कहा था नंबर 1 स्पिनर
कुलदीप के साथ दूसरे टेस्ट में जो हुआ, वह भारतीय क्रिकेट में दिशा और दृष्टि की कमी को सामने लाने वाला करार दिया जा सकता है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अगली बार खिलाए जाने पर वह कैसा प्रदर्शन करता है. मीरपुर में उसे बैंच पर बैठाना, वह भी जयदेव उनादकट की कीमत पर उसके करियर को दो कदम पीछे धकेल सकता है. एक और बात याद करें कि भारतीय टीम के पूर्व मुख्य कोच रवि शास्त्री ने ही कुलदीप को टीम के नंबर एक स्पिनर के तौर पर देखा था. अगर किसी स्पिनर को बाहर ही रखना था तो अक्षर पटेल को होना चाहिए था. शब्द कठोर हैं, लेकिन अक्षर मूल रूप से रवींद्र जडेजा का 'थोड़ा' हीन संस्करण ही हैं.
आगामी ऑस्ट्रेलिया श्रृंखला पर पड़ेगा असर
अब जरा एक बड़ी तस्वीर को देखें. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आगामी चार टेस्ट मैचों की घरेलू श्रृंखला में कुलदीप एक महत्वपूर्ण हथियार होते. इस आलोक में भी ऑस्ट्रेलिया जब आखिरी बार भारत खेलने आई थी. कुलदीप ने धर्मशाला के श्रृंखला-निर्णायक मैच में जो किया था, वह उसे इस बार भी उत्साह और आत्मविश्वास से लबरेज रखने के लिए काफी होता. हालांकि भारतीय थिंक टैंक की सोच दो कदम आगे की मानी ही नहीं जाती. इसे प्रमाणित करने के लिए आंकड़ों की इस बाजीगारी को भी देख लें. कुलदीप की जगह दूसरे टेस्ट के लिए गए जयदेव उनादकट ने 16-20 दिसंबर 2010 को अपना पहला टेस्ट मैच खेला था. वह टेस्ट मैच दुनिया में खेला गया 1985वां टेस्ट मैच था. इसके बाद से जयदेव ने 498 टेस्ट मैच मिस किए और 499 टेस्ट मैच यानी टेस्ट मैच नंबर 2484 में दूसरी बार पूरे 12 साल बाद मैदान पर उतरे. ये किसी भी खिलाड़ी के लिए सबसे ज्यादा टेस्ट मैचों को मिस करने का रिकॉर्ड है... फिर भी वह मैदान पर थे और कुलदीप बैंच पर रहकर ड्रिंक्स सर्व करते रहे.
HIGHLIGHTS
- 2017 में खेला था पहला और अब तक 8 टेस्ट मैच में 34 विकेट
- तीन बार पांच-पांच विकेट लिए, वह भी कम रनों के खर्च पर
- फिर भी बार-बार टेस्ट टीम से बाहर होते रहे हैं कुलदीप