Lata Mangeshkar: सातों सुरों की वो 'लता' जो हमेशा के लिए हो गईं अमर

कोयल सी मीठी आवाज वाली घर की बड़ी बेटी लता मंगेशकर (Lata Tai) जिसने अपने परिवार के लिए उम्र को भुला कमाना शुरू कर दिया और भाई-बहनों को बसाते-बसाते खुद का घर अधूरा छोड़ दिया

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Akanksha Tiwari
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Lata Mangeshkar: सातों सुरों की वो 'लता' जो हमेशा के लिए हो गईं अमर ( Photo Credit : फोटो- @lata_mangeshkar Instagram)

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लता मंगेशकर ये सिर्फ एक नाम नहीं है इस नाम में एक युग है जो आने वाली पीढ़ियों को भी याद रहेगा और अपने गानों से हमेशा ही लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) लोगों के बीच रहेंगी. लता नाम का मतलब ही होता है बेल और लता मंगेशकर ने अपने नाम को अपनी जिंदगी में ही उतार लिया था. जैसे कि एक बेल किसी भी पेड़ पर लिपट कर उसे अपना लेती है ऐसे लता मंगेशकर ने संगीत को अपने अंदर ऐसे समा लिया था कि जिंदगी के आखिरी समय में वह अस्पताल में गाने गुनगुना रही थीं. सिनेमाजगत में संगीत को एक नई परिभाषा देने वालीं लता मंगेशकर (Lata Didi) को 'स्वर साम्राज्ञी' और भारत की 'सुर कोकिला' यूं ही नहीं कहा जाता था. उन्होंने ये नाम कमाने के लिए जो मेहनत और बलिदान दिया है वो किसी के लिए आसान नहीं.

दुनियाभर में जिसकी गायिकी को पसंद करने वाले लोग थे वही लता मंगेशकर अपने गानों को खुद सुनना पसंद नहीं करती थीं. लता मंगेशकर (Lata Tai) ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब वह अपने गाने सुनती हैं तो कोई ना कोई गलती पकड़ लेती हैं. जिसके बाद उन्हें काफी दुख होता था. लता जी ने बताया कि बड़े-बड़े संगीतकार उनके गाने को सुनेंगे और कमियां निकलेगी तो जाने क्या सोचेंगे ये सोचकर वो बेचैन हो जाती थीं. 36 भाषाओं में 30 हजार के करीब गानों को अपनी आवाज देने वालीं लता मंगेशकर के जीवन पर अगर नजर डाली जाए तो इसमें एक ऐसी कहानी है जो लोगों को सीख देती है और खुद में ही पूरी है.

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कोयल सी मीठी आवाज वाली घर की बड़ी बेटी जिसने अपने परिवार के लिए उम्र को भुला कमाना शुरू कर दिया और भाई-बहनों को बसाते-बसाते खुद का घर अधूरा छोड़ दिया. 13 साल की उम्र में गुरु जैसे पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर के निधन से लता को सदमा लगा था. लेकिन पूरे परिवार का जिम्मा होने के कारण वो अपना बचपन भूल दुनियादारी में पैसा कमाने निकल पड़ीं. लता दीदी के पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर एक गायक और थिएटर कलाकार भी थे. उन्होंने मराठी भाषा में कई नाटक बनाए थे. लेकिन एक वक्त ऐसा आया था जब उनके पिता के पैसे डूब गए और उन्हें अपनी फिल्म और थिएटर कंपनी को बंद करना पड़ा. जिसके बाद पंडित दीनानाथ मंगेशकर अपने 5 बच्चों के साथ इंदौर से पूना (अब पुणे) आ गए.

लता जी ने भले ही कभी स्कूल में जाकर पढ़ाई नहीं की मगर उन्होंने कई भाषाओं का ज्ञान घर पर ही लिया था. लता मंगेशकर का पूरा परिवार शास्त्रीय संगीत को पसंद करता था और फिल्मीं संगीत से दूरी रखता था. लता दीदी सिर्फ गाने का ही शौक नहीं रखती थीं बल्कि उन्हें फिल्में देखना, क्रिकेट और फोटोग्राफी भी पसंद थी. यहां तक की दुनिया की पहली सेल्फी भी लता जी ने ही ली थी. ये सुनकर आप हैरान हो गए होंगे तो हैरान ना हों ये बात खुद लता मंगेशकर ने सोशल मीडिया पर अपनी एक तस्वीर शेयर करते हुए बताई थी. साल 2018 में लता मंगेशकर ने 'वर्ल्ड फोटोग्राफी डे' के दिन ट्विटर पर अपनी 1950 के दशक की एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा था कि यह तस्वीर मैंने खुद से ली थी.. जिसे आज सेल्फी के नाम से जाना जाता है. 

फिल्में देखने की शौकीन लता मंगेशकर की फेवरेट हॉलीवुड फिल्म 'द किंग ऐंड आई' थी जो उन्होंने करीब 15 बार देखी थी. लता दीदी को खाना पकाना भी पसंद था और जब भी उन्हें रिकॉर्डिंग से ब्रेक मिलता था वो क्रिकेट देखने पहुंच जाती थीं. 92 वर्ष की आयु में सातों सुरों की 'लता' लता मंगेशकर इस दुनिया को भले ही अलविदा कह गईं लेकिन वो हमेशा अपनी गायिकी के जरिए लोगों में जिंदा रहेंगी. क्योंकि 'नाम गुम जाएगा, चेहरा ये बदल जाएगा...मेरी आवाज़ ही पहचान है, गर याद रहे'.

HIGHLIGHTS

  • लता मंगेशकर 36 भाषाओं में गाने गाए हैं
  • लता मंगेशकर का जन्म इंदौर में हुआ था
  • 92 वर्ष की आयु में लता दीदी ने दुनिया को अलविदा कह दिया
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