पिछले हफ्ते हुई 3 घटनाओं ने मध्य प्रदेश को हिलाकर रख दिया है, पहले बुधवार शाम को इंदौर में बिल्डर संदीप अग्रवाल की हत्या होती है, फिर गुरुवार को मंदसौर के नगर पालिका अध्यक्ष प्रह्लाद बंधवार की हत्या होती है और फिर रविवार को सुबह बड़वानी के बीजेपी मंडल अध्यक्ष मनोज ठाकरे की मॉर्निंग वॉक पर निकलने के दौरान पत्थरों से कुचलकर हत्या कर दी जाती है .
इन तीनों घटनाओं, मतलब पहले इंदौर फिर मंदसौर और बड़वानी वाली घटना के बाद शिवराज CBI जांच की मांग कर रहे हैं, अब जरा सोचिए कि विपक्ष को इस घटना की CBI जांच की मांग करने की जरूरत क्यों पड़ रही है ? दरअसल सत्ता बदलती है तो राजनीतिक हत्याओं का दौर तेज हो जाता है, भारत ही नहीं दुनिया में भी हजारों राजनीतिक हत्याएं हुईं हैं . मसलन अब्राह्म लिंकन, जॉन एफ कैनेडी, बेनजीर भुट्टो की हत्या उस समय हई जब वो वो अपनी पॉलिटिकल लाइफ के शीर्ष पर थे .
भारत भी इनसे अछूता नहीं रहा, आजादी के 6 महीने बाद 30 जनवरी 1948 को दिल्ली के बिरला हाउस में नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी .इसी तरह 6 फरवरी 1965 को पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों की रोहतक में हत्या कर दी गई, हालांकि पुलिस का कहना था कि उनकी हत्या निजी दुश्मनी की वजह से की गई थी .
ठीक इसी तरह 1975 में इंदिरा गांधी मंत्रिमंडल के सदस्य ललित नारायण मिश्र की समस्तीपुर में हत्या कर दी गई थी .इसके बाद 31 अक्टूबर 1984 को दिल्ली की सफदरजंग रोड पर प्रधानमंत्री निवास में इंदिरा गांधी की हत्या कर दी जाती है, उनके सुरक्षाकर्मियों ने ही उन पर गोलियां चलाईं थी .
इसके बाद 21 मई 1991 को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की श्रीपेंरबदूर के एक धमाके में जान चली जाती है, राजीव गांधी की हत्या के पीछे लिट्टे का हाथ बताया गया है .इसके बाद 31 अगस्त 1995 को पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री की पंजाब सचिवालय के पास एक धमाके में जान चली जाती है, ये धमाका इतना भीषण था कि इसमें 16 अन्य लोगों की भी जान जाती है, कहा जाता है कि जिसने इस घटना को अंजाम दिया था वो कोई और नहीं पंजाब पुलिस का एक सिपाही था .
इसके बाद 25 मई 2013 को छत्तीसगढ़ के बस्तर में पूर्व मुख्यमंत्री विद्याचरण शुक्ल की हत्या कर दी जाती है, जिसका आरोप नक्सलियों पर लगता है और इस हमले में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, उनका बेटा दिनेश, नक्सलियों से मोर्चा लेने के लिए सलवा जुडूम बनाने वाले कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा और कांग्रेस के पूर्व विधायक उदय मुदलियार समेत 24 लोग मारे गए थे .अब जब 15 साल बाद एमपी और छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन हुआ है तो यहां भी राजनीतिक हत्याओं का सिलसिला शुरु हो चुका है .
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Source : News Nation Bureau