पाकिस्तान के ननकाना साहिब में हुई पत्थरबाजी और सिखों पर हमले की घटना को लेकर भारत में गुस्से का माहौल है. हर कोई इस घटना की निंदा कर रहा है. बीजेपी और फिर कांग्रेस इस घटना के विरोध में सड़क पर उतर आई है और पाकिस्तान के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर रही है. CAA के खिलाफ जोर-शोर से प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस पहले कुछ समय तक इस मसले पर चुप रही लेकिन फिर एक-एक कर कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की प्रतिक्रियाएं सामने आई. अपने बयानों में कहने को तो कांग्रेस इस घटना की निंदा कर रही थी लेकिन इस दौरान पाकिस्तान का ठीक से नाम लेना तक भूल गई. उनके बयानों को देखकर ऐसा लगता है कि कांग्रेस इस घटना पर पाकिस्तान को घेरने से ज्यादा सियासत करने में और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने में व्यस्त है.
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से लेकर कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद तक, किसी के भी बयान अगर हम सुने तो ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस बीजेपी का विरोध-विरोध करते-करते देश के विरोध पर उतर आई है और ननकाना साहिब पर हुई घटना को भी बीजेपी सरकार के खिलाफ इस्तेमाल कर रही है. सबसे पहले सोनिया गांधी के बयान पर ही बात कर लेते हैं. ननकाना साहिब पर हुई घटना को लेकर उनका मानना है कि भारत सरकार को इस पर तुरंत केस दर्ज करना चाहिए. यानी जिस वक्त कांग्रेस की दिग्गज नेता को पाकिस्तान में सिखों के साथ हुए अत्याचार को लेकर पाकिस्तान और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की धज्जियां उड़ानी चाहिए थीं, उस वक्त वो उल्टा भारत को सलाह देने में लगी हुईं थी. उनका कहना था कि, 'भारत सरकार को इस मामले पर तत्काल केस दर्ज कर, दोषियों के खिलाफ गिरफ्तारी और कार्रवाई के लिए पाकिस्तान पर दबाव डालना चाहिए.'
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इसके बाद कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी का बयान भी सामने आया जिसमें कहने को तो वह ननकाना साहिब में हुई पत्थरबाजी की घटना पर अपनी नाराजगी जाहिर कर रही थी लेकिन अपने बयान में वो इस घटना का नाम लेना तक भूल गईं. उन्होंने कहा, 'ऐसी किसी भी घटना की निंदा करनी चाहिए.' कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी अपने बयान में इशारों ही इशारों में पीएम मोदी पर निशाना साधा जबकि कहने को वो ननकाना साहिब की घटना की निंदा कर रहे थे. उन्होंने कहा, 'कट्टरता एक ऐसा खतरनाक और पुराना जहर है जिसकी कोई सीमा नहीं है.' मतलब कहीं न कहीं वो इस घटना को भी केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधने का एक मौका समझ रहे थे. ऐसे बयान कहीं न कहीं बीजेपी के उस बयान को भी जोर देते हैं जिसमें वो हमशा से कहती आई है कि कांग्रेस तुष्टीकरण की राजनीति कर रही है और देश में भ्रम पैदा कर रही है.
इन सब बयानों में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद का बयान भी शामिल है जिसमें उन्होंने कहा है कि, अगर ऐसी कोई घटना हुई है तो इसकी हम सभी को निंदा करनी चाहिए. क्या गुलाम नबी आजाद के इस बयान से समझना चाहिए कि वो अभी भी इस बात को लेकर असमंजस में है कि पाकिस्तान में सिखों के साथ ऐसी कोई घटना हुई भी है या नहीं. दरअसल कांग्रेस नेताओं के इन बयानों से ये सवाल इसलिए खड़े हो रहे हैं क्योंकि उन्होंने साफ तौर पर पाकिस्तान पर कुछ नहीं कहा है. यहां तक की पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से जवाब तक नहीं मांगा है लेकिन पीएम मोदी और सरकार को नसीहत जरूर दी है और इस घटना का ठीकरा भी केंद्र सरकार पर फोड़ने की कोशिश की है.
इससे पहले कांग्रेस के इस रुख पर बीजेपी नेता मिनाक्षी लेखी ने भी सवाल उठाए थे. बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने प्रेस कांफ्रेस कर कांग्रेस से सवाल पूछा कि वह इस मामले में चुप्पी क्यों साधे हुए हैं. उन्होंने कहा कि ननकाना साहिब तो एक संकेत है. इसी से पाकिस्तान की नीति समझी जा सकती है कि वहां किस तरह मानवाधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है. पाकिस्तान में पुलिस सरकार सब मिली हुई है. ननकाना साहिब सर्वोच्च स्थान है उसका नाम भी बदल रहे हैं.
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उन्होंने कहा कि ननकाना साहिब की हरकत के बाद सीएए का महत्व और भी बढ़ जाता है. इस दौरान उन्होंने कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू पर भी निशाना साधा जो समय-समय पर किसी भी आयोजन में शिरकत करने पाकिस्तान जाते रहे हैं. उन्होंने कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू कहां भाग गए. मीनाक्षी लेखी ने पूछा कि इन सब के बाद भी क्या सिद्धू आईएसआई चीफ को गले लगाएंगे. मीनाक्षी लेखी ने पूछा कि ननकाना साहिब में जो हुआ है उस पर शाहीन बाग में बैठे लोग क्या बोलेंगे. सीएए और ननकाना साहिब में हुए विरोध के बीच क्या संबंध है. मीनाक्षी लेखी ने कहा कि कांग्रेस को 84 के दंगे याद आ गए होंगे. इसलिए कांग्रेस पाकिस्तान एम्बेसी से सामने विरोध करने पहुंच गई है.
बता दें, कुछ समय पहले एक खबर काफी सुर्खियों में थी जिसमें एक कांग्रेस सासंद ये कहते हुए कैमरे में कैद हो गया था कि पेट्रोल-डीजल तैयार रखो. जैसे ही आदेश मिले सब फूंक देना. उस समय भी बीजेपी ने सोनिया गांधी पर निशाना साधा था और कहा था कि 'इससे जाहिर है कि क्यों सोनिया गांधी ने CAA हिंसा पर दिया संबोधन में कभी शांति की अपील नहीं की, काडर कनफ्यूज जो हो जाता.'
Source : Aditi Sharma