Opinion: VRS की वजह से ग्रामीण क्षेत्र में अपना प्रभुत्व खो सकता है BSNL

ताजा रिपोर्ट के अनुसार, BSNL के 70 हजार से अधिक कर्मचारियों ने वीआरएस के लिए आवेदन कर दिया है. अगले कुछ दिनों में यह संख्या और बढ़ने की उम्मीद है.

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Dhirendra Kumar
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Opinion: VRS की वजह से ग्रामीण क्षेत्र में अपना प्रभुत्व खो सकता है BSNL

VRS की वजह से ग्रामीण क्षेत्र में अपना प्रभुत्व खो सकता है BSNL( Photo Credit : फाइल फोटो)

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सरकारी टेलीकॉम कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (VRS) एक बड़ी सफलता की ओर बढ़ रही है. ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 70 हजार से अधिक कर्मचारियों ने वीआरएस के लिए आवेदन कर दिया है. अगले कुछ दिनों में यह संख्या और बढ़ने की उम्मीद है. वीआरएस के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 3 दिसंबर है. मान लिया जाए कि वीआरएस योजना के तहत करीब 75,000 कर्मचारी कंपनी (BSNL) छोड़ देते हैं. इसका कंपनी के वित्तीय पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा, दरअसल, कंपनी का 70 फीसदी से अधिक पैसा (राजस्व) कर्मचारियों के वेतन में जाता है. यह निजी टेलिकॉम कंपनियों की तुलना में काफी ज्यादा है. उदाहरण के लिए भारती एयरटेल का सिर्फ 5 प्रतिशत राजस्व कर्मचारियों के वेतन में जाता है.

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सालाना 7,000 करोड़ रुपये की होगी बचत
अगर 75,000 कर्मचारी वीआरएस लेते हैं तो कंपनी को प्रति वर्ष लगभग 7,000 करोड़ रुपये की बचत होने की उम्मीद है. हालांकि, बड़ा सवाल यह है कि बीमार पीएसयू (PSU) को पुनर्जीवित करने के लिए पर्याप्त होगा या नहीं. हालांकि एक बार वीआरएस प्रक्रिया पूरी होने के बाद हमें इस पर सही तरीके से विश्लेषण करना होगा. दक्षिणी और पश्चिमी राज्यों में बीएसएनएल की काफी अच्छी पैठ है. हमारी प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, इन क्षेत्रों से वीआरएस लेने वाले कर्मचारियों की संख्या बहुत अधिक है. अगर ऐसा ही अंतिम तक रहता है तो वहां मैनपॉवर के बिना कार्य करना काफी कठिन हो सकता है. सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के काम में प्रभाव पड़ सकता है. दूरसंचार विभाग (DoT) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह बात कही है.

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वर्तमान में बीएसएनएल के लिए सबसे बड़ा फायदा यह है कि वह ग्रामीण क्षेत्रों में अपने प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में मजबूत है. हालांकि, इसका एक कारण यह भी है कि दूरदराज के क्षेत्रों में भी इसके कई कर्मचारी हैं, जहां निजी कंपनियों के पास नेटवर्क नहीं है. हालांकि, इस फायदे से भी झटका लग सकता है, क्योंकि बीएसएनएल अपनी मैनपावर में 50 फीसदी से अधिक की कमी कर रहा है.

जब बीएसएनएल ने अपनी सेवाएं शुरू कीं, तो इसकी खासियत यह थी कि इसकी सेवाएं ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध थीं. कई वर्षों तक यह एकमात्र नेटवर्क था जो दूरस्थ क्षेत्रों में उपलब्ध था. बाद में निजी कंपनियों ने दूरस्थ क्षेत्रों में सेवाएं देनी शुरू कर दी. हालांकि, उनकी पैठ कुछ क्षेत्रों तक सीमित थी. यही कारण है कि महानगरों और बड़े शहरों के बाहर के ग्राहकों के लिए BSNL पहली पसंद थी. अब मैनपावर को कम करने के साथ ही बीएसएनएल का फायद दूर हो जाएगा.

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बीएसएनएल फिक्स्ड लाइन सेवाओं में मजबूत है. इसमें ऑप्टिकल फाइबर केबल (OFC) का राष्ट्रव्यापी नेटवर्क है. यह बीएसएनएल को उसके प्रतिद्वंद्वियों से अलग करता है. वास्तव में अगर बीएसएनएल सिर्फ फिक्स्ड लाइन सेवाओं पर ध्यान केंद्रित करता, तो यह राजस्व का एक बड़ा स्रोत होता और वाईफाई नेटवर्क के साथ कंबाइड होता. इससे बीएसएनएल अपने प्रतिद्वंद्वियों से बहुत आगे हो सकता था.

हालांकि, लैंडलाइन नेटवर्क को बनाए रखने के लिए बहुत अधिक मैनपावर की आवश्यकता होती है. अब बीएसएनएल के लिए अपनी फिक्स्ड लाइन सेवाओं को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती होगी. यह ध्यान दिया जा सकता है कि फिक्स्ड-लाइन सेवाओं में हमेशा मोबाइल सेवाओं की तुलना में प्रति यूजर औसत राजस्व (ARPU) अधिक होता है. बीएसएनएल के लिए मैनपावर कम करना अच्छा है, क्योंकि इससे उस पर वित्तीय बोझ कम होगा. हालांकि, अगर इसे ठीक से नहीं संभाला गया तो आगे इस पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.

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