पूरी दुनिया में कोरोना वायरस (Corona Virus) ने कोहराम मचा रखा है. सुपर पावर अमेरिका जैसे देश कोरोना के सामने घुटने टेक चुका है. इटली, फ्रांस, स्पेन और इंग्लैंड जैसे देश बेबस और लाचार नजर आ रहे हैं. ऐसे में पूरा विश्व भारत (India) की तरफ उम्मीद भरी निगाहों से देख रहा है. भारत के पास एक मौका है कोरोना वायरस जैसी महामारी से निपटने के लिए पूरे विश्व को रास्ता दिखाने का. आखिर पूरा विश्व भारत की तरफ क्यों देख रहा है. क्या है इसके पीछे की वजह? आइए हम आपको अपने इस लेख में आपको बताते हैं जो तथ्यों पर आधारित है.
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ICMR के आंकड़ों की मानें तो अगर भारत ने 21 दिनों के लॉकडाउन का फैसला नहीं किया होता तो भारत में कोरोना के संक्रमित मरीजों की संख्या आठ लाख के आसपास होती, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब तक सबसे साहसिक फैसला लिया और 21 दिनों के लॉकडाउन का फैसला लिया. जिसका कल्पना देश नहीं कर रहा था, लेकिन देश को कोरोना से बचाने का इससे बेहतर विकल्प देश के पास नहीं था.
पीएम नरेंद्र मोदी ने जो फैसला लिया, वो फैसला लेने की ताकत डोनाल्ड ट्रंप भी नहीं जुटा पाए और नतीजा सबके सामने है. अब तक चार लाख से ज्यादा लोग वहां कोरोना के संक्रमण से ग्रसित हैं, यूरोपियन देशों का हाल भी ऐसा ही है. ये पीएम मोदी का व्यक्तित्व ही है जो संकट की इस घड़ी में इतने बोल्ड स्टेप लेने में सक्षम है. पीएम मोदी कोरोना की इस जंग को खुद लीड कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कार्यालय खुद कोरोना की मॉनिटरिंग कर रहा है. पीएम के आदेश पर ही पांच मंत्रालयों की एक टीम का गठन किया गया, जो हर रोज देश को कोरोना के ताजा हालात पर अपडेट करता है. पीएम मोदी ने सभी राजनीतिक दलों के फ्लोर लीडर्स को संबोधित करते हुए कहा कि हर जान हमारे लिए कीमती है और हम हर कीमत पर इसे बचाएंगे.
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पीएम ने यह भी कहा कि इस जंग में हमें भारी कीमत चुकानी पड़ेगी, लेकिन जान है तो जहान है अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाया जा सकता है, लेकिन जो जान चली गई उसे दोबारा लौटाया नहीं जा सकता है. अब बात उस रणनीति कि जिसके दम पर भारत कोरोना को देश में फैलने से रोकने में कामयाब रहा.
एक्सपर्ट की जो टीम पीएम मोदी को सलाह दे रही थी उसने बताया कि इस वायरस की ओरिजिन चीन से है और वहां से पूरे विश्व में ये फैल रहा है. ऐसे में सबसे पहला कदम मोदी सरकार ने उठाया और वो था एयरपोर्ट पीकर थर्मल स्क्रीनिंग का, ताकि विदेश से कोरोना का कोई मरीज देश में न आ सके. इसके कुछ दिन बाद सारी उड़ानों को बंद कर दिया गया यानी जो मरीज देश में आ चुके थे. अब उन्हें चिन्हित करना था और उन्हें स्वस्थ लोगों से मिलने से रोकना था.
ऐसे में भारत के विदेश मंत्रालय ने पिछले दो महीनों में जिन लोगों ने विदेश यात्रा की थी उनका डेटा बेस बनाया और उनकी सैंपल टेस्टिंग होने लगी. साथ ही कोरोना को लेकर सरकार लागातार जागरूकता कार्यक्रम चलाने लगी. नतीजा ये हुआ है कि जिन लोगों की ट्रेवल हिस्ट्री थी उन्हें आइसोलेशन वार्ड में भेजा जाने लगा. ये सब कुछ पीएम मोदी की अगुवाई में हो रहा था. ऐसा लगने लगा कि भारत कोरोना को रोकने में कामयाब होने लगा है. कोरोना की ताबूत में आखरी कील ठोकने के लिए पीएम ने एक बड़ा ही साहसिक फैसला लिया लॉक डाउन का. जिससे कोरोना खत्म होना तय था. लेकिन, तभी एक ऐसी घटना घटी, जिसने कोरोना के खिलाफ भारत की लड़ाई को कमजोर कर दिया.
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जब सरकार की गाइडलाइंस थी कोई भी विदेश से या देश आया व्यक्ति कोई बैठक नहीं करेगा, कोई गैदरिंग नहीं होगी, तभी तबलीगी जमात की एक बैठक हुई और उसमें हजारों लोगों ने हिस्सा लिया. इसमें मलेशिया और इंडोनेशिया से आए लोग थे, जो कोरोना संक्रमित थे वो बैठक से निकल कर देश के कोने-कोने में फैल गए. और यहीं से लड़ाई कमजोर हो गई, लेकिन पीएम मोदी ने फिर हिम्मत दिखाई और कहा कि जो लोग इस बैठक में थे वो सामने आए और रोग न छुपाए, लेकिन जमात ने सपोर्ट नहीं किया.
बावजूद इसके अभी तक भारत पीएम मोदी की अगुवाई में कोरोना से लड़ने में कामयाब रहा है. बस जरूरत है सरकार की गाइडलाइंस को फॉलो करने की. इस जंग में पूरी दुनिया भारत से हेल्प मांग रही है. भारत अमेरिका, चीन, इटली, स्पेन, इजरायल सबकी मदद कर रहा है. ऐसे देश की जनता का फर्ज बनता है कि वो अपनी सरकार की मदद करें, घर में रहें, सोशल distancing का पालन करें. ये जंग जारी है और इस जंग में भारत की जीत सुनिश्चित है.