अफगानिस्तान में तालिबान सत्ता में आ गई, पाकिस्तान और चीन जैसे देश खुलकर उसका समर्थन कर रहे हैं लेकिन क्या अमेरिका को तालिबान की फिक्सिंग की पूरी जानकारी थी.15 अगस्त के बाद अफगानिस्तान में जिस तेज़ी से घटनाक्रम बदले उसने अमेरिकी सेना को अगले 15 दिन के भीतर ही अफगानिस्तान छोड़ने पर मजबूर कर दिया.वो अमेरिकी सेना जिसे पिछले 20 साल में दुनिया की कोई ताकत अफगानिस्तान की जमीन से हिला नहीं पाई. सवाल ये है कि क्या अमेरिका महज तालिबान की ताकत के आगे झुक गया या फिर इस पूरे एपिसोड में कोई और भी था जो पर्दे के पीछे रहकर इस पूरी फिल्म को निर्देशित कर रहा था.ये समझने के लिए आपको ज्यादा नहीं लेकिन कुछ दिन पीछे लेकर जाना होगा.
यह वो दिन थे जब अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी की आहट तो थी लेकिन काबुल में हालात पूरी तरह से सामान्य थे. 23 जुलाई 2021 ये वो तारीख थी जब अमेरिका राष्ट्रपति जो बाइडेन ने आखिरी बार अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी को वाशिंटगन से फोन किया था. उस रोज़ दोनों राष्ट्राध्यक्षों के बीच फोन पर करीब 14 मिनट की नॉनस्टॉप बातचीत हुई थी, जानकारों के मुताबिक इस 14 मिनट की कॉल के बाद तालिबान के आगे अफगानी शासन के ढेर होने की बुनियाद पड़ गई।
दुनिया के सामने ये सच न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स ने रखी जिसके मुताबिक उसे अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन और ततकाल अफगानी राष्ट्रपति अशरफ गनी के बीच फोन कॉल की ट्रांसक्रिप्ट मिली है. जिसमें बाइडेन और अफगानी राष्ट्रपति अशरफ गनी के बीच बातचीत का एक-एक ब्योरा है. सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि इस बातचीत में राष्ट्रपति अशरफ गनी ने साफ साफ पाकिस्तान की ओर इशारा किया था. उन्होंने बाइडेन को बताया था कि काबुल को अस्थिर करने के लिए तालिबान के साथ मिलकर पाकिस्तान साजिश कर रहा है.
इस फोन कॉल में पाकिस्तान को लेकर बाइडेन और अशरफ गनी के बीच जो बात हुई थी उसका ब्योरा रॉयटर्स के मुताबिक फोन पर अशरफ गनी कहते हैं कि वो अफगानिस्तान आक्रमण का सामना कर रहे हैं और उनपर सिर्फ तालिबान ही हमला नहीं कर रहा बल्कि तालिबान के अलावा, पाकिस्तान की भी पूरी योजना से इसमें शामिल है, जो तालिबान को समर्थन दे रहा है, पाकिस्तान ने 10-15 हजार अंतरराष्ट्रीय आतंकी यहां भेजे हैं, ये सारे आतंकी इस वक्त अफगानिस्तान में मौजूद हैं, पाक की ओर से उन्हें लॉजिस्टिक सपोर्ट भी मिल रहा है, हम तभी शांति पा सकते हैं, जब सैन्य स्थिति संतुलित हो. जवाब में जो बाइडेन कहते हैं कि "आप पूर्व राष्ट्रपति हामिज करजई को साथ लेकर चलें" उत्तर देते हुए अशरफ गनी कहते हैं कि "मैंने ये कोशिश की थी लेकिन करजई तो खुद मुझे अमेरिका का नौकर कहकर कोसने लगे."
इस बातचीत से यही पता लग रहा है कि अफगान शासन को ढहाने के लिए पाकिस्तान तालिबान के साथ मिलकर साजिशें रच रहा था और इस बात से बाइडेन अच्छी तरह वाकिफ थे लेकिन बाइडेन ने अफगानिस्तान के डूबते जहाज को डूबने दिया और फिर दुनिया के सामने आकर इसका ठीकरा अशरफ गनी पर ही फोड़ डाला. मतलब ये कि अफगानिस्तान की कश्ती डूबती रही और अमेरिका सब कुछ जानकर भी अनजान बने बैठा रहा तो पाकिस्तान अफगानिस्तान की नाव डुबने के लिए तलीबान को नाव में छेद करने वाले हथियार मुहैया कराता रहा. दुनिया इस बात पर चकित होती रही कि आधुनिक हथियारों से लैस करीब 3 लाख अफगानी सेना ने तालिबान को केक वॉक कैसे दे दिया.
(विद्यानाथ झा एंकर/डेप्युटी एडिटर, न्यूज़ नेशन)
Source : Vidya Nath Jha