Presidential Election 2022: भारत के राष्ट्रपति के लिए चुनाव कार्यक्रम का ऐलान हो चुका है. 18 जुलाई को चुनाव होंगे और 21 जुलाई को मतगणना. मुख्य चुनाव आयुक्त के मुताबिक चुनाव में मतदाताओं की कुल संख्या 4,809 होगी, जिसमें 776 सांसद और 4,033 विधायक शामिल हैं. भारतीय संविधान में राष्ट्रपति को देश का प्रथम नागरिक माना जाता है। इसी को ध्यान में रखकर राष्ट्रपति चुनाव की गरिमा को बनाएरखने के लिए बीते सालों में ढेरों प्रयास भी किए गए हैं, लेकिन भारतीय राजनीति में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर भी काफी सियासी बवालमच चुका है। पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को लेकर भी एक चुनावी विवाद सुर्खियों में रहा।
साल 2012 के राष्ट्रपति चुनाव में कुल दो उम्मीदवार मैदान में थे। मुक़ाबला प्रणव मुखर्जी और पी ए संगमा के बीच था। मुखर्जी 7 बार संसद सदस्य रह चुके थे, जबकि संगमा 9 बार। दोनों को ही राजनीति और कानून का लंबा अनुभव था। 16 मई 2012 को जारी हुई अधिसूचना के तहत 2 जुलाई को उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों की जांच होनी थी, लेकिन नामांकन पत्रों की जांच के दिन ही पी ए संगमाने प्रणव मुखर्जी की उम्मीदवारी पर सवाल खड़ा कर राजनीतिक भूचाल ला दिया। संगमा ने आरोप लगाया कि 20 जून को नामांकन पत्रदाखिल करते समय उम्मीदवार प्रणव मुखर्जी दो लाभ के पद संभाल रहे थे! संगमा के मुताबिक मुखर्जी लोक सभा में सदन के नेता थेऔर साथ ही में भारतीय सांख्यिकीय संस्थान कोलकाता की परिषद के अध्यक्ष भी। संविधान के अनुच्छेद 58 में राष्ट्रपति चुनाव की नियम शर्तों का जिक्र है। नियम के मुताबिक किसी लाभ के पद पर बैठा व्यक्ति राष्ट्रपति नहीं चुना जा सकता। सगंमा के आरोप गंभीरथे, जिसके बाद प्रणव मुखर्जी की दावेदारी पर ही सवाल उठने लगे।
मामला अदालत पहुंचा जहां संगमा की अपील को खारिज कर दिया गया। भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर समेतन्यायमूर्ति पी. सदासिवम और सुरिंदर सिंह निज्जर ने प्रणव मुखर्जी के पक्ष में फैसला सुनाया। लाभ के पद की पेचिदगी को एक बारफिर स्पष्ट किया। बताया कि संसद में किसी दल का नेता होना लाभ का पद नहीं होता। यकीनन प्रणव मुखर्जी को अदालत से बड़ीराहत मिली थी और उसके बाद एक बड़ी चुनावी जीत भी। 22 जुलाई 2012 को आए नतीजों के मुताबिक कुल पड़े वोटों के10,29,750 मत मूल्य में से प्रणव मुखर्जी को 7 लाख से ज्यादा मिले थे.
Source : Facts With Anurag