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उफ्फ... कांग्रेस ने पहले पुरानी गलती दोहराई! फिर 2024 में राहुल को 'असली चैलेंजर' पेश करने की योजना...

बीजेपी के इस नैरेटिव को खारिज करने के लिए कांग्रेस के पास उसके अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) थे, जो दक्षिण के दलित नेता है. इसके बावजूद कांग्रेस आलाकमान इस मौके को भुनाने में बुरी तरह से चूक गया.

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Nihar Saxena
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Congress Meeting

शुक्रवार सुबह सोनिया गांधी संग बैठक में सामने आएं कई चूकें.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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महज 48 घंटों के अदालती और फिर इससे उपजे राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर डालने से पता चलता है कि कांग्रेस आलाकमान को नीतिसंगत और तर्कसंगत सलाह देने वालों की संभवतः कमी हो गई है. संभवतः यही वजह रही कि शुक्रवार सुबह कांग्रेस के आह्वान पर विपक्षी दलों की बैठक में मुद्दा मोदी सरनेम (Modi Surname Case) मानहानि मामले में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की दोषसिद्धि (Rahul Gandhi Conviction) का नहीं, बल्कि अडानी और संयुक्त संसदीय समिति (Adani JPC Probe) की जांच का था. यह बताता है कि कांग्रेस ने किस तरह से उस महत्वपूर्ण अवसर को गंवा दिया, जो राजनीतिक बिसात पर उसे किसी न किसी रूप में थोड़ी मजबूती दे सकता था. बजाय सही फैसला करने के कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने इस मसले पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) को बढ़त लेने दी, जिसने राहुल गांधी से जुड़े पूरे मामले को जातिवादी टिप्पणी का रूप दे दिया. भाजपा ने अपने शीर्ष मंत्रियों को मोर्चे पर लगा दिया, जिन्होंने राहुल गांधी पर अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) समुदाय के अपमान का आरोप लगा कठघरे में खड़ा कर दिया. बीजेपी के इस नैरेटिव को खारिज करने के लिए कांग्रेस के पास उसके अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) थे, जो दक्षिण के दलित नेता है. इसके बावजूद कांग्रेस आलाकमान इस मौके को भुनाने में बुरी तरह से चूक गया. 

अडानी और राहुल की दोषसिद्धि का असमंजस
एक वरिष्ठ वकील और कांग्रेसी सांसद दबी जुबान में स्वीकारते हुए कहते हैं, 'पार्टी को उस दिन सतर्क हो जाना चाहिए था, जिस दिन उच्च न्यायालय ने इस मुद्दे पर रोक हटा दी थी. उन्हें तुरंत सेशन कोर्ट का रुख करना चाहिए था, लेकिन इस पहल पर कोई ध्यान नहीं दिया गया और टीम दिल्ली वापस आ गई. कांग्रेस एक बार फिर असमंजस का शिकार हुई कि भाजपा पर हमला करने के लिए राहुल गांधी की दोषसिद्धि को मुख्य मुद्दा बनाया जाए या नहीं. जो देश की सबसे पुरानी पार्टी ने बाद में किया भी. हालांकि जब तक यह समझ में आता तब तक राहुल गांधी की दोषसिद्धि के खिलाफ राहत पाने के लिए ऊपरी अदालत का रुख करने के बजाय कुछ कांग्रेसी नेता सूरत जिला अदालत को आधार बना न्यायपालिका के खिलाफ बयान दे चुके थे.' कांग्रेस को यह सच्चाई भी देर से समझ आई कि अडानी मुद्दे पर साथ आई सभी विपक्षी पार्टियां अदालत के फैसले के मसले पर भी उसका साथ देने में हिचकिचा रही हैं. इस क्रम में जब शुक्रवार की सुबह विपक्षी दलों की बैठक हुई तो मुद्दा राहुल गांधी की दोषसिद्धि का नहीं, बल्कि अडानी और संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की जांच का था. यह अलग बात है कि कांग्रेस चाह कर भी राहुल गांधी को नहीं छोड़ सकती थी. नतीजतन उसने इस मसले को संवैधानिक संस्थानों के दुरुपयोग के साथ जोड़ सूरत जिला अदालत का परोक्ष रूप से उल्लेख किया.

यह भी पढ़ेंः Modi Surname Case: RG पर मानहानि का पहला मामला नहीं यह, कई बार पहले भी लगे ऐसे आरोप

शुक्रवार सुबह की बैठक में हुई कई गड़बड़
असली गड़बड़ सोनिया गांधी के कार्यालय में शुक्रवार सुबह की बैठक में हुई, जिसमें राहुल गांधी भी मौजूद थे. बैठक में कुछ नेताओं ने सुझाव दिया कि कांग्रेस को राहुल गांधी की अयोग्यता पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखना चाहिए या एक मुलाकात करनी चाहिए. इस पर भी कानून की 'समझ' रखने वाले दो वरिष्ठ सांसदों ने कहा कि अयोग्यता घोषित करने में समय लगेगा. सूरत जिला अदालत ने 30 दिनों तक राहुल गांधी की सजा सस्पेंड कर दी है और उनके पास अपील करने के लिए 30 दिन हैं. ऐसे में जब स्पीकर कार्यालय ने उसी दिन दोपहर राहुल गांधी की लोकसभा से अयोग्यता की एक अधिसूचना जारी की, तो कांग्रेस के लिए यह अप्रत्याशित घटनाक्रम साबित हुआ. इसके बाद जल्दबाजी में बुलाई गई प्रेस कांफ्रेंस में पार्टी ने डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की. शामिल नेताओं ने कहा कि यह लंबी कानूनी लड़ाई है. साथ ही न्यायपालिका पर हमला किए बिना विरोध की योजना भी बताई. जाहिर है पार्टी ने अब भी राहुल गांधी की ट्वीट से प्रेरणा ली है, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह सच्चाई के लिए कुछ भी छोड़ने को तैयार हैं. अब राहुल गांधी के केंद्र में रखते हुए 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिहाज से सटीक प्रतिद्वंद्वी साबित करने की रूपरेखा तैयार की जा रही है. यह अलग बात है कि इस लाख टके के सवाल का जवाब फिलवक्त किसी कांग्रेसी के पास नहीं है कि क्या राहुल गांधी के अकेलेदम 2024 में कांग्रेस को जीत सुनिश्चित की जा सकती है?

HIGHLIGHTS

  • विपक्षी पार्टियों के साथ बैठक में कांग्रेस आलाकमान रहा असमंजस का शिकार
  • कांग्रेस आलाकमान को सही राय देने वालों की भी नितांत कमी साफ दिखाई दी
  • लाख टके का सवाल राहुल गांधी के दम 2024 वैतरणी कैसे पार करेगी कांग्रेस!
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