भारत पाकिस्तान के संबंध सुधरने के बजाय और भी खराब होते जा रहे हैं. भारत-पाकिस्तान के बीच एलओसी (Line of Control) के जरिए होने वाले ट्रेड को बंद कर दिया गया है, जो 19 अप्रैल यानी आज से लागू हो गया. इस ट्रेड के बंद होने के बाद कई सवाल खड़े हो गए हैं. आखिर इससे भारत को क्या फायदा होगा. क्या ट्रेड बंद कर देने से आतंकवाद भी खत्म हो जाएगा. आइए जानते हैं.
व्यापार की आड़ में गंदा धंधा
गृह मंत्रालय ने एलओसी पर व्यापार बंद करने को लेकर जो कारण बताया है उसके मुताबिक पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन व्यापार का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं. व्यापार के नाम पर बहुत से भारत विरोधी तत्व भी भारत में घुस जा रहे हैं. इतना ही नहीं, इसी ट्रेड की आड़ में नशीले पदार्थ, हथियार, और नकली नोट भारत में भेजे जा रहे हैं.
हालांकि गृह मंत्रालय ने इसे स्थाई नहीं बताया है. बल्कि कहा है कि भारत सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने के बाद ही इस ट्रेड को वापस शुरु करने का फैसला लेगा. हालांकि भारत-पाकिस्तान के तनाव पूर्ण रिश्तों के बीच यह फैसला हुआ है. जिससे लगता नहीं कि यह ट्रेड जल्द ही वापस शुरू होगा.
व्यापार का यह रास्ता हालांकि भारत और पाकिस्तान के बीच बहुत बड़े लेवल पर नहीं है. असल में यह कश्मीर और POK के लोगों के बीच ट्रेड करने वाला रास्ता है. यहां पर होनो वाला व्यापार वस्तु विनिमय में और ड्यूटी फ्री होता है. यानी पैसा देकर यहां सामान नहीं खरीदा जा सकता. सामान लेने के लिए आपको सामान देना होगा. हफ्ते में यहां चार दिन व्यापार किया जा सकता था. इसके लिए दो सेंटर बनाए गए थे. जिसमें से एक उरी के सलामाबाद में और दूसरा पुंछ के बारामुला और चकंदाबाद में है.
पाकिस्तान में होगी बेरोजगारी
एलओसी के रास्ते होने वाले ट्रेड को बंद करने से पाकिस्तान पर बहुत असर पड़ेगा. यह असर अच्छा नहीं होगा. एलओसी पर होने वाले यह ट्रेड पाकिस्तान की सरकार अपने डेटा में नहीं रखती थी. लेकिन लोगों को इससे फायदा होता था. इस ट्रेड के बंद होने से पाकिस्तान के लोगों को जमीनी तौर पर बहुत नुकसान होगा.
इससे वहां लोगों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ेगा. पाकिस्तान की इस समय जो हालत है वह जग जाहिर है. इसी को देखते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान हमेशा व्यापार की बात करते आए हैं. कई बार वह इसके लिए ट्वीट भी करते रहे हैं. हालांकि पाकिस्तान से व्यापार करने पर भारत को लांग टर्म में फायदा मिलेगा. लेकिन पाकिस्तान को इससे बहुत मदद मिल जाएगी. उनके पास बहुत सारा विदेशी धन आ जाएगा. जिसे वह आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल करेगा.
आतंकियों पर कार्रवाई का दबाव!
पाकिस्तान की हालत तो खस्ता थी ही, लेकिन जबसे इमरान खान सत्ता में आए हैं वह और भी खराब हो गई है. पाकिस्तान की अर्थ व्यवस्था एशिया में बेहद कम हो गई है. पाकिस्तान के लोगों को उम्मीद थी कि इमरान खान अर्थव्यस्था की हालत सुधारेंगे. नवाज शरीफ के समय में पाकिस्तान की ग्रोथ रेट 5.6 के करीब थी, इमरान के सत्ता में आने के बाद यही ग्रोथ रेट अब 2.9 है. जबकि बांग्लादेश, वियतनाम जैसे देश भी इससे आगे हैं.
भारी ट्रेड वार को झेलते हुए चीन की अर्थव्यवस्था भी 6.3 प्रतिशत है. कराची के शहीद जुल्फिकार अली भुट्टो इंस्टीस्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में मैनेजमेंट साइंस के विभागाध्यक्ष डॉ कैसर बंगाली का कहना है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था ध्वस्त होने की कगार पर पहुंच गई है.
पाकिस्तान के बुद्धिजीवी इस बात से वाकिफ हैं कि उनकी अर्थव्यवस्था गिरती जा रही है. आबादी लगातार बढ़ रही है. साथ ही साथ उनके निर्यात के ऑप्शन लगातार कम हो रहे हैं. मोदी सरकार के इस फैसले को देखें तो जिस पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से ही गिरती चली जा रही है. उसे बहुत नुकसान होगा. हालांकि भारत यह इसी लिए कर रहा है ताकि पाकिस्तान अपने देश में आतंकवादियों को रोके. मसूद अजहर जैसे आतंकियों पर कार्रवाई करे.
Source : Yogendra Mishra