Yogi-Bhagwat Meeting: लोकसभा चुनाव 2024 के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के बीच आज यानी शनिवार को गोरखपुर में पहली मुलाकात है. कायस लगाए जा रहे हैं कि इस मीटिंग में चुनाव नतीजों में खराब प्रदर्शन, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और आरएसएस के बीच समन्वय और प्रदेश में संघ के विस्तार पर चर्चा हो सकती है. यह बैठक ऐसे समय पर हो रही है जब बीजेपी और आरएसएस के बीच मतभेद की खबरें सुर्खियों में हैं. आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार का बीजेपी को 'अहंकारी' करार देने वाला बयान छाया हुआ है. ऐसे में योगी-भागवत की मीटिंग काफी अहम हो जाती है और उसके सियासी मायने काफी बड़े हो जाते हैं.
4 दिन ये यूपी में हैं मोहन भागवत
RSS चीफ भागवत 4 दिन से यूपी में हैं. वहां उनका 16 जून तक रहने का कार्यक्रम है. यूपी में संघ के विस्तार, उसकी सक्रियता बढ़ाने, मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य और सामाजिक सरोकार उनके एजेंडे में हैं. प्रदेश में संघ के विस्तार के लिए उन्होंने काशी, गोरखपुर, कानपुर और अवध क्षेत्र में संघ की जिम्मेदारी संभाल रहे करीब 280 स्वयं सेवकों के साथ विस्तार से बात की. वहीं मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य को लेकर वे आज सीएम योगी से मुलाकात करेंगे. यह मीटिंग कई मायनों में अहम मानी जा रही है. इस बैठक में चुनावों के बाद जो नतीजे आए हैं, उनको लेकर समीक्षा हो सकती है. बता दें कि 2014, 2019 लोकसभा चुनावों की तुलना में इस बार BJP का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा. यूपी, पंजाब और महाराष्ट्र समेत ऐसे कई राज्य हैं जहां पार्टी की सीटें घटी हैं.
BJP-RSS में दिख रहा है मतभेद
नरेंद्र मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री शपथ लेने के बाद से ही संघ के तेवर तल्ख दिख रहे हैं. जो कई सवालों को खड़ा कर रहे हैं जैसे क्या BJP-RSS सबकुछ ठीक चल रहा है, क्या संघ और आरएसएस के बीच दूरियां बढ़ रही हैं और क्या चुनावों में BJP का खराब प्रदर्शन संघ की तरफ से उसे ग्राउंड सपोर्ट नहीं मिलना है. इन सब सवालों का जवाब संघ प्रमुख मोहन भागवत, संघ के मुखपत्र ऑर्गेनाइजर में छपे लेख और वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार के बयानों में हैं.
आइए 10 जून को भागवत के दिए गए बयान पर गौर करते हैं. तब उन्होंने इशारों-इशारों में बीजेपी को नसीहत दी थी और कहा कि काम करें, लेकिन मैंने किया है ये अहंकार नहीं पालें. वहीं ऐसा ही कुछ 12 जीन को संघ के मुखपत्र ऑर्गेनाइजर में लिखे लेख में लिखा. ऑर्गेनाइजर में लिखा गया, '2024 के आम चुनावों के नतीजे अति आत्मविश्वासी बीजेपी और कार्यकर्ताओं और नेताओं के लिए वास्तविकता के रूप में सामने आए, उन्हें एहसास नहीं हुआ कि पीएम मोदी का 400 पार का नारा उनके लिए एक लक्ष्य और विपक्षी को चुनौती देने जैसा था.'
उस आर्टिकल में आगे लिखा, 'कोई भी लक्ष्य मैदान पर कड़ी मेहनत से हासिल होता है ना कि सोशल मीडिया पर पोस्टर और सेल्फी शेयर करने से होता है. चूंकि वे अपने बुलबुले में खुशे थे, नरेंद्र मोदी की नाम की चमक का आनंद ले रहे थे. इसलिए वे सड़कों पर आवाज नहीं सुन रहे थे. आम आदमी की सबसे बड़ी शिकायत स्थानीय सांसद या विधायक से मिलना मुश्किल या असंभव होना है, मंत्रियों की तो बात ही छोड़िए. उनकी समस्याओं के असंवेदनशीलता एक और आयाम है. बीजेपी के चुने हुए सांसद और मंत्री हमेशा व्यस्त क्यों रहते हैं. वो अपने निर्वाचन क्षेत्रों में कभी क्यों नहीं दिखाई देते हैं. ये चुनावों के परिणाम कई लोगों के लिए सबक हैं.'
वहीं 13 जून को रही सही बात संघ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने कह दी. उन्होंने लोकसभा चुनाव के नतीजे पर बड़ा बयान देते हुए सत्तारूढ़ बीजेपी को 'अहंकारी' और विपक्षी इंडिया ब्लॉक को 'राम विरोधी' करार दिया है. उन्होंने कहा, 'राम सबके साथ न्याय करते हैं. 2024 के चुनाव को ही देख लीजिए. जिन्होंने राम की भक्ति की, लेकिन उनमें धीरे-धीरे अंहकार आ गया. उस पार्टी को सबसे बड़ी पार्टी बना दिया. लेकिन जो उसको पूर्ण हक मिलना चाहिए, जो शक्ति मिलनी चाहिए थी, वो भगवान ने अहंकार के कारण रोक दी.'
योगी-भागवत की मीटिंग के मायने
BJP-RSS के बीच मतभेद की खबरों के बीच योगी और भागवत की मीटिंग के कई मायनों में अहम हो जाती है. इस मीटिंग में भोगवत यूपी में BJP के खराब प्रदर्शन को लेकर योगी आदित्यनाथ को कड़ा संदेश दे सकते हैं. उनके साथ आगे की रणनीति पर चर्चा कर सकते हैं. पार्टी की आगे की दशा और दिशा पर बात कर सकते हैं. साथ ही संघ और BJP समन्वय के साथ कैसे काम करें इस पर बात हो सकती है. हालांकि इस मीटिंग को लेकर कई सवाल भी उठ रहे हैं. मसलन- क्या योगी को लेकर भागवत के मन में कोई बड़ी प्लानिंग चल रही है, क्या संघ मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए BJP में कोई सेकंड लीडरशिप खड़ा करना चाहता है?
Source : News Nation Bureau