आखिर क्या है सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु का सच, आज भी रहस्य बरकरार

भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और देश मना रहा है सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती.. सुभाष चंद्र बोस देश के उन स्वतंत्रता सेनानियों में से एक हैं, जिन्होंने तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा दिया

author-image
Mohit Sharma
New Update
Subhash Chandra Bose

Subhash Chandra Bose( Photo Credit : FILE PIC)

Advertisment

भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और देश मना रहा है सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती.. सुभाष चंद्र बोस देश के उन स्वतंत्रता सेनानियों में से एक हैं, जिन्होंने तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा दिया, लाल किले पर तिरंगा लहराने का वादा किया ,आजाद हिंद फौज का गठन किया ,लेकिन उनकी मृत्यु आज भी एक रहस्य है। दूसरे विश्व युद्ध की शुरुआत के साथ ही सुभाष बोस प्राधीन भारत से भागकर पहले अफगानिस्तान, उसके बाद सोवियत संघ होते हुए जर्मनी में हिटलर से मिले, हिटलर ने कहा कि जापान जाइए वहां अंग्रेजी हुकूमत के बंधक भारतीय सैनिक हैं, उनके साथ मिलकर सुभाष बाबू ने आजाद हिंद फौज का गठन किया। 1943-45 के बीच सुभाष चंद्र बोस चीन के सन सेन, बर्मा के आग सांग, रासबिहारी बोस के साथ सिंगापुर और फार्मूला मौजूद थे,  जिसे ताइवान के नाम से जाना जाता है। वहां रहे और आजादी के लिए सशस्त्र आंदोलन चलाया।

1944 में जब जापान की हार निश्चित लगने लगी थी, अगस्त 1945 में सिंगापुर से सुभाष चंद्र बोस जापान जाना चाहते थे। उनके हवाई जहाज में मौजूदा ताइवान की राजधानी ताईपे पर सुबह 18 अगस्त 1947 को लैंडिंग की, यहां से उनके हवाई जहाज में रिफ्यूलिंग करनी थी और उसके बाद टोक्यो का रास्ता तय होना था ,लेकिन जो बात दस्तावेजों में दर्ज है उसके अनुसार मेरे पीछे मौजूद किसी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर सुभाष चंद्र बोस का हवाई जहाज क्रैश हो जाता है और यही उनकी मृत्यु हो जाती है।

हालांकि फार्मूला जिसे आज ताइवान के नाम से जाना जाता है, वहां के लोगों और प्रत्यक्षदर्शियों ने 18 अगस्त 1947 में कोई हवाई दुर्घटना दर्ज ही नहीं की, लोगों ने सुभाष बाबू को जरूर देखा था, पर वह कहां गायब हो गए किसी को नहीं पता। जिसके बाद भारत और विश्व में कई कहानियां और किंवदंतियों ने जन्म लिया, कहा तो यहां तक गया कि पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने इंटेलिजेंस ब्यूरो की मदद से सुभाष बाबू के परिवार की जासूसी दो दशक तक करवाई । संसद की तरफ से दो कमेटियों का गठन हुआ रिपोर्ट रखी गई, लेकिन सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु आज भी रहस्य बनी हुई है। जब देश के आजादी के 75 साल पूरे हो चुके हैं, जब दिल्ली के इंडिया गेट के करीब सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा लगाई जा रही है।

आज यह ताइवान की राजधानी ताइपे का मुंसिपल हॉस्पिटल है, 1945 यानी दूसरे विश्व युद्ध के समय यह मिलिट्री हॉस्पिटल हुआ करता था, कथित रूप से यह कहा गया कि इसी हॉस्पिटल में जली हुई अवस्था में सुभाष चंद्र बोस पहुंचे और इसी हॉस्पिटल में उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली.. हालांकि ताइवान के रिकॉर्ड ऐसा कुछ भी नहीं बताते हैं।

भारत के रिकॉर्ड के मुताबिक रिंकू जी मंदिर जापान में सुभाष चंद्र बोस की अस्थियों को रखा गया है, लेकिन उन हस्तियों की जांच और डीएनए सैंपल लेने की मंजूरी नहीं मिली।  मंदिर प्रशासन का कहना है, हमने कभी इंकार नहीं किया ,जबकि जर्मनी में मौजूद सुभाष चंद्र बोस की बेटी ने भी कहा कि वह डीएनए सैंपल देने के लिए तैयार है, यानी आज भी उनकी मृत्यु का रहस्य वैसा ही बना हुआ है जैसा उस दौर में था, लेकिन जब उस दौर में एडोल्फ हिटलर ने आत्महत्या कर ली, हिरोशिमा और नागासाकी पर हमला हुआ, सुभाष बाबू की मृत्यु एक ऐसा रहस्य था, जो आज भी अनसुलझा ही है।

Source : Rahul Dabas

Subhash chandra bose netaji subhash chandra bose Subhash Chandra Bose News Subhash Chandra Bose Sculpture Subhash Chandra Bose Death Subhash Chandra Bose death secret Birth Anniversary of Subhash Chandra Bose Subhash Chandra Bose’s 125th birth anniversary
Advertisment
Advertisment
Advertisment