Advertisment

चुनाव आते ही यूपी-बिहार के लोगों पर क़हर क्यों?

जब संविधान में किसी भारतीय नगारिक को देश में कहीं भी आने-जाने और रहने की आजादी है तो चंद गुंडे राजनीति की रोटी सेंकने क्यों आ जाते हैं.

author-image
Deepak Kumar
एडिट
New Update
चुनाव आते ही यूपी-बिहार के लोगों पर क़हर क्यों?

चुनाव आते ही उत्तर भारतीयों पर अटैक करने का मामला क्यों आता है सामने (पीटीआई)

Advertisment

यह बड़ा हास्यास्पद व भयावह दृश्य है कि रोजगार की आस में खासकर बिहार व उत्तर प्रदेश के पूर्वी क्षेत्रों के लोग जब महाराष्ट्र व गुजरात में जाते हैं तो कुछ सालों या जब-जब आम चुनाव व क्षेत्रीय चुनाव आते हैं तो वहां के लोगों को इन लोगों से चिढ़ होने लगती हैं और उन्हें वोट बैंक की खातिर वहां से उन्हें पलायन को मजबूर कर देते हैं. 

आखिर क्यों? इसमें आखिरकार देश की राजनीति की धुरी पर बैठे नुमाइंदे हस्तक्षेप क्यों नहीं करते? जब संविधान में किसी भारतीय नगारिक को देश में कहीं भी आने-जाने और रहने की आजादी है तो चंद गुंडे राजनीति की रोटी सेंकने क्यों आ जाते हैं. इन्हें किसने यह अधिकार दे दिया?

महाराष्ट्र चुनाव आते हैं तो राज ठाकरे यह मुद्दा उठाते हैं कि उत्तर भारतीय आखिर कहां जाए? यह अलग प्रश्न है कि बिहार व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों को सोचना होगा कि इन लोगों का पलायन न हो, लेकिन न चाहकर भी आप किसी की भी प्रतिभा को दबा नहीं सकते. जिसके अंदर प्रतिभा है वह वहां जाकर ही कार्य करेगा. उसकी प्रतिभा से चिढ़कर आप क्यों उन्हें पलायन करने से मजूबर कर सकते हैं? 

बात रही राजनीति करने वालों की, तो उन्हें आपको अपने मताधिकारी से जवाब दे, ताकि ऐसे लोग तुच्छ मानसिकता की राजनीति न कर सके. आज जिस तरीके से गुजरात में एक की सजा वहां कई वर्षो से रोजगार कर रहे भोले-भाले मजदूरों को क्यों मिल रही है? उन्हें अकारण मजबूरन हिंसा से बचने के लिए अपने गांव की ओर पलायन करना पड़ रहा है. आखिर दोनों प्रदेशों के रहनुमाओं को क्या हो गया है, क्या राजनीति का चश्मा इनका उतरता नहीं. 

बहुत अफसोस होता है, जब मैं टीवी पर अखबारों में लोगों के पलायन के समाचार पढ़ता हूं, मन अंदर से आग-बबूला हो जाता है और सोचने को मजबूर हो जाता है कि आखिर विविधता वाले भारत में ओछे राजनेताओं की सोच कब बदलेगी?

क्या हमारा देश इसी चक्कर में पीछे रह गया? प्रतिभा भी आज सिर्फ प्रतिभा बनकर रह गई है. कोई भी इंसान अपनी जन्मभूमि नहीं छोड़ना चाहता, लेकिन दो जून की रोटी उसे मजबूर कर देती है अपना गांव छोड़ने को. उत्तर प्रदेश आज उत्तम प्रदेश बनने चला है, वहीं बिहार आज जंगलराज से आम राज होने चला है. सिर्फ खयाली पुलावों में कहीं न कहीं इन राजनीति के कबूतरों को कुछ दिखाई नहीं देता. कहां है इन प्रदेशों की पुलिस, आईबी, गुप्तचर एजेंसियां? क्या सब सो रही हैं जो सब कुछ देखकर भी आंखों पर पट्टी बांध कर सोई हुई है. 

मेरा प्रधानमंत्री से आग्रह है कि आपका देश आज आपकी दुहाई दे रहा है कि रोक लो इन पलायनों को, क्या आपके पास भी इन मजबूरों की कराह सुनाई नहीं देती? वहीं गुजरात पुलिस का दावा है कि उसने 342 लोगों को गिरफ्तार किया है, ताकि इस तरह की घटनाएं नहीं होने पाए. 

खबर के मुताबिक, हिम्मतनगर में एक बच्ची से दुष्कर्म के मामले ने इस कदर तूल पकड़ा कि गुजरात के कई इलाकों में रहने वाले यूपी और बिहार के प्रवासियों को निशाना बनाया गया. इस कारण अब गांधीनगर, अहमदाबाद, पाटन, साबरकांठा और मेहसाणा इलाके से सैकड़ों प्रवासी अपना कामकाज छोड़कर अपने घर को वापस जा रहे हैं, वहीं त्योहारों के बीच लोग आखिरकार खाएंगे क्या?

वहीं इन आरोपों पर घिरे गुजरात के तीन लड़कों में से एक नवनिर्वाचित कांग्रेस विधायक अल्पेश ठाकोर कहना है कि उनके समर्थकों के खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए गए हैं और इसलिए वो 11 अक्टूबर से 'सद्भावना' उपवास करेंगे. 

और पढ़ें- गुजरात में उत्तर भारतीयों पर हमले के बाद सीएम विजय रूपाणी के बयान पर बिफरे आरजेडी नेता तेजस्वी यादव

इस मामले में समाजसेवियों का कहना है कि सबसे पहले नफरत फैलाने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए, क्योंकि उन्हीं की वजह से प्रदेश में कानून व्यवस्था बिगड़ती है, फिर चाहे वो किसी भी राजनीतिक पार्टी के लोग क्यों न हों. इस तरह से गुजरात को महाराष्ट्र बनता देखना अच्छी बात नहीं है. 

(सौरभ वाष्र्णेय स्वतंत्र पत्रकार व टिप्पणीकार हैं)

Source : IANS

BJP congress Yogi Adityanath Uttar Pradesh rape Alpesh Thakore Gujarat rape rape revenge gujarat migrants attack Gujarat protests
Advertisment
Advertisment
Advertisment