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Diwali 2025 (File Image)
Diwali 2025: दीपावली का त्योहार भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक अहम हिस्सा है. हालांकि यह रोशनी का त्योहार देश के हर हिस्से में एक ही तरह से मनाया जाता है. ऐसे में आज हम आपको इस आर्टिकल में उन अलग-अलग परंपराओं से रुबरु कराएंगे जो भारत के अलग-अलग राज्यों में प्रचलित हैं. साथ ही हम आपको कुछ ऐसे रोचक तथ्य के बारे में भी बताएंगे जो दीपावली के इतिहास और महत्व को गहरा बनाने का काम करते हैं. आइए विस्तार से जानते हैं इसके बारे में.
इन देशों में अलग अंदाज में मनाई जाती है दीपावली (Diwali 2025)
उत्तर भारत की दीपावली
उत्तर भारत में दीवाली को भगवान राम के अयोध्या वापसी के स्वागत में मनाया जाता है. लोग अपने घरों को दीयों और रंगोली से सजाते हैं, नए कपड़े पहनते हैं और एक दूसरे के घर जाकर मिठाइयां बांटते हैं. दीवाली की रात को लोग मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते हैं और धन की देवी से आशीर्वाद मांगते हैं.
पश्चिम भारत की दीपावली
पश्चिम भारत की बात करें तो खासतौर से गुजरात में दीवाली को नए साल के रूप में मनाया जाता है. इस दौरान लोग अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं, नए कपड़े खरीदते हैं और नए साल का स्वागत करते हैं. गुजरात में दीवाली के दौरान पतंग उड़ाना एक लोकप्रिया परंपरा बनी हुई है.
दक्षिण भारत की दीपावली
वहीं बात करें दक्षिण भारत की दीपावली की तो यहां थोड़ा अलग तरीके से मनाया जाता है. तमिलनाडु में दीवाली को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है जो भगवान श्री कृष्ण द्वारा नरकासुर राक्षस का वध करने का प्रतीक है. कर्नाटक में दीवाली को बाली चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है जो भगवान विष्णु द्वारा बली राक्षस का वध करने का प्रतीक है.
पूर्वी भारत में दीपावली
इसके अलावा, पूर्वी भारत में खासकर बंगाल में दीवाली का त्योहार काली पूजा के साथ धूमधाम से मनाया जाता है. यह पर्व केवल प्रकाश का त्योहार ही नहीं बल्कि शक्ति और विनाश की देवी, मां काली की आराधना का पावन अवसर भी है. माना जाता है कि देवी काली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक हैं. बता दें काली पूजा बंगाली संस्कृति का एक अभिन्न अंग है. यह त्योहार लोगों को एकजुट करता है और सामाजिक बंधनों को मजबूत भी बनाता है.
दीवाली की मूल्य अर्थ
दीवाली की विविधता भारत की विविधता का प्रतिबिंब है. भारत के अलग-अलग राज्यों में दीवाली को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है लेकिन सभी जगहों पर दीवाली का मूल अर्थ एक ही है "बुराई पर अच्छाई की जीत, अंधेरे पर प्रकाश की जीत". बता दें दीवाली केवल एक त्योहार नहीं बल्कि यह भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है. दीवाली हमें एक दूसरे के साथ जुड़ने, प्यार और खुशी बांटने और नए साल की शुरुआत करने का मौका देती है.
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