वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
मोदी सरकार 3.0 का पहला फुल बजट 23 जुलाई यानी कल पेश होगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सातवीं बार बजट पेश करेंगी. आपको बता दें कि बजट सरकार के खर्च और आय का लेखा-जोखा होता है. लेकिन आपके जहन में सवाल जरूर आता होगा कि आखिर सरकार के पास बजट के लिए पैसा कहां से आता है और यह पैसा कहां जाता है. आइए यहां समझाने की कोशिश कर रहे हैं.
बजट
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने 1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश किया था. निर्मला सीतारमण ने चालू वर्ष में राजकोषीय घाटे को कम करके 5.8 फीसदी और 2024-25 तक 5.1 फीसदी तक कम करने का अनुमान लगाया था.
निर्मला सीतारमण
वित्त वर्ष 2024-25 के अंतरिम बजट में टोटल एक्सपेंडिचर 47,65,768 करोड़ रूपये रहने का अनुमान लगाया गया था. इसमें 11,11,111 करोड़ रूपये का महत्वपूर्ण कैपिटल एक्सपेंडिचर शामिल है. साल 2024-25 के लिए प्रभावी कैपिटल एक्सपेंडिचर 14,96,693 करोड़ रूपये निर्धारित किया गया था, जो पिछले वित्तीय वर्ष के संशोधित अनुमानों की तुलना में 17.7 फीसदी की उल्लेखनीय बढ़ोतरी है.
कहां से आता है पैसा
केंद्र सरकार के रेवेन्यू संरचना से पता चलता है कि सबसे ज्यादा हिस्सा 28 फीसदी बॉरोइंग और अन्य लायबिलिटी से आता है. इसके बाद Income Tax से 19 फीसदी और GST से 18 फीसदी पैसा आता है. कॉरपोरेशन टैक्स का योगदान 17 फीसदी है, जबकि Non Tax रीसीट 7 फीसदी हैं. Central Excise Duty और Customs कुल मिलाकर 9 फीसदी है, नॉन-डेट कैपिटल रीसीट कुल आय का 1 फीसदी हैं.
बजट
टीज में राज्य की हिस्सेदारी में चला जाता है. सेंट्रल सेक्टर की योजनाएं और अन्य खर्च क्रमशः 16 फीसदी और 9 फीसदी हैं, जबकि रक्षा क्षेत्र, केंद्रीय प्रायोजित योजनाएं और वित्त आयोग से आवंटन 8-8 फीसदी होता है. कुल खर्च में सब्सिडी का हिस्सा 6 फीसदी है, जबकि पेंशन का हिस्सा 4 फीसदी है.