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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) 8 मार्च को मनाया जाता है. इस खास दिन हर जगह, हर कोई महिलाओं की बात करता है, उनके हितों की बात करता है. आज की सदी में एक महिला होना आसान हो सकता है, लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं रहा है. आज इस खास मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं उन महिलाओं के नाम जो हमारे जीवन की प्रेरणा हैं और इतिहास के पन्नों में उनका नाम दर्ज है.
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आनंदीबाई जोशी पुणे शहर में जन्मी पहली भारतीय महिला डॉक्टर थीं. जिस दौर में महिलाओं की शिक्षा भी दूभर थी, ऐसे में विदेश जाकर डॉक्टरी की डिग्री हासिल करना अपने-आप में एक मिसाल थी.
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सुष्मिता सेन ने 1994 में फेमिना मिस इंडिया का खिताब जीता था. इसी साल वे मिस यूनिवर्स भी चुनी गईं. उस वक्त सुष्मिता की उम्र केवल 18 साल थी.
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मदर टेरेसा ने अपना पूरा जीवन बेसहारा, गरीबों, लाचारों और मानवता की सेवा में समर्पित कर दिया था. उनका जन्म 26 अगस्त 1910 को हुआ था.
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फार्मा क्षेत्र की कंपनी बायोकॉन की संस्थापक और मैनेजिंग डायरेक्टर किरन मजूमदार शॉ देश की सबसे अमीर महिला उद्यमी हैं.
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भारत की महान एथलीटों में शुमार पीटी उषा (PT Usha) का जन्म 27 जून, 1964 को केरल के कोइकोड जिले के पयौली गांव में हुआ था. पीटी उषा को ‘पयौली एक्सप्रेस' और ‘क्वीन ऑफ इंडियन ट्रैक ऐंड फील्ड' भी कहा जाता है.
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मैरीकॉम को भारत में शायद ही कोई हो जो न जानता हो, चाहे वे खेलों में दिलचस्पी रखता हो अथवा न रखता हो. मैरी कॉम 6 बार वर्ल्ड एमेच्योर बॉक्सिंग चैंपियन बनने वाली अकेली भारतीय हैं. इसके साथ ही विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के भी वे आठ खिताब जीत चुकी हैं.
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फाइटर पायलट अवनी चतुवर्दी ने देश की पहली फाइटर पायलट बनकर नारी सशक्तीकरण का उदाहरण पेश किया है.
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गरीब परिवार में जन्मी कल्पना सरोज आज करोड़पति हैं. कल्पना आज 700 करोड़ की कंपनी की मालकिन हैं.
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ह्यूमन कंप्यूटर कही जाने वालीं शकुंतला देवी ने दुनियाभर में भारत का नाम रोशन किया था.