पारसी समुदाय के लोग (फोटो:ट्विटर)
पारसी समुदाय ने गुरुवार को अपना नव वर्ष 'नवरोज' धार्मिक उल्लास, पारंपरिक धूमधाम और दावतों के साथ मनाया। दुनिया भर में पारसी समुदाय के लोगों की संख्या 68,000 है।
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नवरोज़, फारस के राजा जमशेद की याद में मनाते हैं जिन्होंने पारसी कैलेंडर की स्थापना की थी। दरअसल सातवीं शाताब्दी में जब ईरान में धर्म परिवर्तन की मुहिम चली तो वहां के कई पारसियों ने अपना धर्म परिवर्तित कर लिया, लेकिन कई पारसी जिन्हें यह धर्म परिवर्तन करना मंजूर नहीं था वे लोग ईरान को छोड़कर भारत आ गए। और इसी धरती पर अपने संस्कारों को सहेज कर रखना शुरू कर दिया।
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नववर्ष पारसी समुदाय में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। पारसी धर्म में इसे खौरदाद साल के नाम से जाना जाता है। पारसियों में 1 साल 360 दिन का होता है और बाकी बचें 5 दिन गाथा के रूप में अपने पूर्वजों को याद करने के लिए रखा जाता है। साल के खत्म होने के ठीक 5 दिन पहले इसे मनाया जाता है।
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पारसी इस दिन की शुरुआत सुबह की प्रार्थना से करते है। लोगों ने अपने घरों को धूप जलाकर शुद्ध किया। इस मौके पर खास तौर से तैयार किए गए पारंपरिक परिधान भी पहने।
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इस दिन पारसी समुदाय के लोग अपने पूरे परिवार के साथ पारंपरिक नाश्ता 'सेव-रावो-मीठा दही' खाते हैं। एक-दूसरे को गले लगाकर नवरोज की शुभकामनाएं देते हैं।
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नवरोज के दिन पारसी परिवार के लोग नए कपड़े पहनकर अपने उपासना स्थल फायर टेंपल जाते हैं और प्रार्थना के बाद एक दूसरे को नए साल की मुबारकबाद देते हैं।