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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
राष्ट्रपति के ऑफिसियल सोशल मीडिया हैंडल एक्स से किए गए एक पोस्ट में कहा गया कि ऐसी जगहें हैं जो हमें जीवन के सार के करीब लाती हैं और हमें याद दिलाती हैं कि हम प्रकृति का हिस्सा हैं. पहाड़, जंगल, नदियाँ और समुद्र तट हमारे भीतर की किसी चीज़ को आकर्षित करते हैं.
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
इससे मुझे एक गहन आंतरिक शांति मिली, जो मैंने कल महाप्रभु श्री जगन्नाथजी के दर्शन करते समय भी महसूस की थी ऐसा अनुभव करने वाली मैं अकेली नहीं हूं. हम सभी ऐसा महसूस करते हैं जब हम किसी ऐसी चीज का सामना करते हैं जो हमसे कहीं बड़ी है, जो हमें सहारा देती है और हमारे जीवन को सार्थक बनाती है.
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
रोज की भागदौड़ में, हम प्रकृति मां से यह संबंध खो देते हैं. मानव जाति का मानना है कि उसने प्रकृति पर कब्ज़ा कर लिया है और अपने अल्पकालिक लाभों के लिए इसका दोहन कर रही है. इसका नतीजा सभी के सामने है. इस गर्मी में भारत के कई हिस्सों में भीषण गर्मी की लहरें चलीं. हाल के वर्षों में दुनिया भर में कई भयावह मौसम की घटनाएं लगातार हो रही हैं. आने वाले दशकों में स्थिति और भी खराब होने का अनुमान है.
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
मेरा मानना है कि पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण की चुनौती का सामना करने के दो तरीके हैं - व्यापक कदम जो सरकारों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की ओर से उठाए जा सकते हैं और दूसरा छोटे, स्थानीय कदम जो हम नागरिकों के रूप में उठा सकते हैं. बेशक, ये दोनों एक दूसरे के पूरक हैं. स्थानीय स्तर पर जो कुछ भी कर सकते हैं, उसे करने का संकल्प लें. यह हमारे बच्चों के प्रति हमारा कर्तव्य है.