आज 2 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि (chaitra navratri 2022) शुरू हो चुके हैं. जिसमें चौथा दिन मां कूष्मांडा (maa kushmanda) को समर्पित होता है. नवरात्रि उपासना में चौथे दिन इन्हीं के विग्रह का पूजन-आराधना की जाती है. इस दिन साधक का मन 'अनाहत' चक्र में स्थित (kushmanda maa ki aarti) होता है. इसलिए, इस दिन उसे अत्यंत पवित्र मन से कूष्माण्डा देवी (jai maa kushmanda) के स्वरुप को ध्यान में रखकर पूजा-उपासना के काम में लग्न रहना चाहिए. आठ भुजाओं वाली मां कूष्मांडा अपने भक्तों के सभी कष्टों और दुखों (maa kushmanda navdurga) का नाश कर देती हैं. चैत्र नवरात्रि में पूजा के बाद मां कूष्मांडा की आरती करें. माना जाता है इससे प्रसन्न होकर (maa kushmanda aarti) मां आपकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करेंगी.
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मां कूष्मांडा की आरती (aarti kushmanda mata ki)
कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी माँ भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे ।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदंबे।
सुख पहुँचती हो माँ अंबे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
माँ के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो माँ संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥