अनंतनाथ भगवान (anantnath bhagwan) जैन धर्म के 14वें तीर्थंकर हैं. उनकी आरती (lord anantnath aarti) रोजाना करने से आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है. कहा जाता है कि प्रभु के जन्म से पूर्व उनकी माता को स्वप्न आया था जिसमें उन्होंने हीरे मोतियों की एक माला देखी थी जिसका ना आदि और ना अंत था. मान्यताओं के अनुसार अनंतनाथ भगवान की आरती (anantnath bhagwan 14th trithankar hindi aarti) जन्म-जन्मान्तर के कष्टों और पापों से मुक्ति दिलाती है. भगवान अनंतनाथ की आरती पढ़ें और न्याय, मैत्री और दया भावना जैसे गुणों को अपने चरित्र (anantnath bhagwan aarti sangrah) में शामिल करें.
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अनंतनाथ भगवान की आरती (shri anantnath bhagwan aarti)
करते हैं प्रभु की आरती, आतम की ज्योति जलेगी |
प्रभुवर अनंत की भक्ति, सदा सोख्य भरेगी, सदा सोख्य भरेगी ||
हे त्रिभुवन स्वामी, हे अन्तरयामी |
हे त्रिभुवन स्वामी, हे अन्तरयामी |
हे सिंहसेन के राज दुलारे, जयश्यामा के प्यारे |
साकेतपूरी के तुम नाथ, गुणाकार तुम न्यारे ||
तेरी भक्ति से हर प्राणी में, शक्ति जगेगी, प्राणी में शक्ति जगेगी |
हे त्रिभुवन स्वामी, हे अन्तरयामी |
हे त्रिभुवन स्वामी, हे अन्तरयामी |
वदि ज्येष्ठ द्वादशी में प्रभुवर, दीक्षा को धारा था |
चैत्री मावस में ज्ञान कल्याणक उत्सव प्यारा था ||
प्रभु की दिव्यध्वनि दिव्यज्ञान, आलोक भरेगी, ज्ञान आलोक भरेगी ||
हे त्रिभुवन स्वामी, हे अन्तरयामी |
हे त्रिभुवन स्वामी, हे अंतर्यामी |