धर्मनाथ भगवान (dharmnath bhagwan) जैन धर्म के 15वें तीर्थंकर हैं. प्रभु धर्मनाथ जी का जन्म कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा के दिन श्रावस्ती नगरी में इक्ष्वाकु कुल में हुआ था. प्रभु धर्मनाथ जी (dharmanath bhagwan jain aarti) के पिता का नाम भानू तथा माता का नाम सुव्रता था. प्रभु की देह का वर्ण स्वर्ण और इनका प्रतिक चिह्न वज्र था. कल धर्मनाथ भगवान (dharmnath bhagwan jain religion) का गर्भ कल्याणक है. इनका चिन्ह वज्रदंड है. अपने नाम के समान ही भगवान धर्मनाथ की आरती मन को निष्पाप बनाती है. धर्मनाथ जी की आरती (dharmnath bhagwan aarti lyrics) सांसारिक बंधनों से मुक्ति दिलवाने वाली, सुखप्रदायिनी और मनवांछित फल देने वाली मानी गई है.
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धर्मनाथ भगवान की आरती (dharmnath bhagwan hindi aarti)
आरती कीजे प्रभु धर्मनाथ की,
संकट मोचन जिन नाथ की -२
माघ सुदी का दिन था उत्तम,
सुभद्रा घर जन्म लिया प्रभु।
राजा भानु अति हर्षाये,
इन्द्रो ने रत्न बरसाये।
आरती कीजे प्रभु धर्मनाथ की,
संकट मोचन जिन नाथ की।
युवावस्था में प्रभु आये,
राज काज में मन न लगाये।
झूठा सब संसार समझकर,
राज त्याग के भाव जगाये।
आरती कीजे प्रभु धर्मनाथ की,
संकट मोचन जिन नाथ की।
घोर तपस्या लीन थे स्वामी,
भूख प्यास की सुध नहीं जानी।
पूरण शुक्ल पौष शुभ आयी,
कर्म काट प्रभु ज्ञान उपाई।
आरती कीजे प्रभु धर्मनाथ की,
संकट मोचन जिन नाथ की।