गंगा की उत्पत्ति का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है. हिन्दू धर्म में गंगा (maa ganga) की उत्पत्ति की कहानी दो कथाओं में बताई गई है. पुराणों में देवी गंगा के जन्म की कई कथाएं मिलती हैं. इसके साथ ही इनमें गंगा के स्वर्ग से पृथ्वी पर आने का रहस्य भी बताया गया है. यही नहीं देवी गंगा के मनुष्य रूप में प्रेम की भी अत्यंत ही रोचक कथा है. तो, चलिए आपको बताते हैं कि आप मां गंगा की कौन-सी आरती (ganga aarti) कर सकते हैं.
यह भी पढ़े : Panchak April 2022 Donts: पंचक के दौरान भूलकर भी न करें ये काम, बढ़ जाती हैं लड़ाइयां और मिलते हैं अशुभ परिणाम
मां गंगा की आरती (ganga maa aarti)
हर हर गंगे, जय माँ गंगे,
हर हर गंगे, जय माँ गंगे ॥
ॐ जय गंगे माता,
श्री जय गंगे माता ।
जो नर तुमको ध्याता,
मनवांछित फल पाता ॥
चंद्र सी जोत तुम्हारी,
जल निर्मल आता ।
शरण पडें जो तेरी,
सो नर तर जाता ॥
॥ ॐ जय गंगे माता..॥
पुत्र सगर के तारे,
सब जग को ज्ञाता ।
कृपा दृष्टि तुम्हारी,
त्रिभुवन सुख दाता ॥
॥ ॐ जय गंगे माता..॥
एक ही बार जो तेरी,
शारणागति आता ।
यम की त्रास मिटा कर,
परमगति पाता ॥
॥ ॐ जय गंगे माता..॥
आरती मात तुम्हारी,
जो जन नित्य गाता ।
दास वही सहज में,
मुक्त्ति को पाता ॥
॥ ॐ जय गंगे माता..॥
ॐ जय गंगे माता,
श्री जय गंगे माता ।
जो नर तुमको ध्याता,
मनवांछित फल पाता ॥
ॐ जय गंगे माता,
श्री जय गंगे माता ।