कुंथुनाथ भगवान (kunthunath bhagwan) जैन धर्म के 17वें तीर्थंकर है. आज भगवान का जन्म, तप और मोक्ष कल्याणक है. इनकी आरती (bhagwan kunthnath aarti) करने वाला सहसा ही स्वयंसिद्ध हो जाता है. इस शक्ति-कणों से परिपूर्ण आरती (kunthunath bhagwan aarti) को करने से जगत में कुछ भी अप्राप्य नहीं रहता है. कहा जाता है कि कुंथुनाथ भगवान की आरती सिद्धि, यश-वैभव, ज्ञान और बल प्रदान (kunthunath bhagwan 17th trithankar) करने वाली होती है. जो लोग भक्तिभाव से रोजाना इनकी आरती करते हैं उनकी सभी समस्याओं का अंत हो जाता है. यहां तक की जीवन में इच्छानुसार प्रत्येक वस्तु की प्राप्ति होती है. तो, चलिए आज कुंथुनाथ भगवान के तीनों कल्याणक के उपलक्ष्य में उनकी इस आरती (shri kunthunath bhagwan aarti) को करें.
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कुंथुनाथ भगवान की आरती (kunthunath bagwan aarti hindi lyrics)
श्री कुन्थुनाथ प्रभु की हम आरती करते हैं
आरती करके जनम जनम के पाप विनशते हैं ।
सांसारिक सुख के संग आत्मिक सुख भी मिलते हैं
श्री कुन्थुनाथ प्रभु की हम आरती करते हैं ।
जब गर्भ में प्रभु तुम आये
पितु सुरसेन श्री कांता माँ हर्षाये
सुर वंदन करने आये
श्रावण वदि दशमी, गर्भ कल्याण मनाये
हस्तिनापुरी उस पावन धरती को नमते हैं
आरती करके जनम जनम के पाप विनशते हैं ।
सांसारिक सुख के संग आत्मिक सुख भी मिलते हैं
वैसाख सुदी एकम में, जन्मे जब सुर गृह में बाजे बजते थे
सुर शैल शिखर ले जाकर
सब इन्द्र सपारी करे नवहन जिन शिशु पर
जन्मकल्यानक से पावन उस गिरी को जजते हैं
आरती करके जनम जनम के पाप विनशते हैं ।
सांसारिक सुख के संग आत्मिक सुख भी मिलते हैं