भगवान नमिनाथ (lord naminath) की आरती करने से भक्तों के बिगड़े सारे काम बनने लगते हैं. इसके साथ ही भगवान नमिनाथ (naminath ji bhagwan) की आरती भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति और जीवन में सन्मार्ग की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा देती है. कहा जाता है कि भगवान नमिनाथ की आरती (bhagvan naminath ji ki aarti) और ध्यान को पूर्ण विश्वास से करने से भीतर ऊर्जा और शक्ति का संचार होता है जो जीवन से निराशा और नकारात्मकता का अंत करती है. इसलिए, नमिनाथ भगवान की आरती (naminath jain aarti) पढ़ने से लोगों को जीवन में सफलता और समृद्धि मिलती है. इसके साथ ही सभी कष्टों का अंत भी होता है.
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नमिनाथ भगवान की आरती (naminath 21st trithankar jain aarti)
श्री नमिनाथ जिनेश्वर प्रभु की, आरती है सुखाकरी|
भव दुख हरती, सब सुख भरती, सदा सौख्य करतारी||
प्रभी कू जय.......|| टेक. ||
मथिला नगरी धन्य हो गई, तुम सम सूर्य को पाके,
मात वप्पिला, विजय पिता, जन्मोत्सव खूब मनाते,
इन्द्र जन्मकल्याण मनाने, स्वर्ग से आते भारी|
भव दुख......|| प्रभू......|| 1 ||
शुभ आषाढ़ वदी दशमी, सब परिग्रह प्रभु ने त्यागा,
नम सिद्ध कह दीक्षा धारी, आत्म ध्यान मन लागा,
ऐसे पूर्ण परिग्रह त्यागी, मुनि पद धोक हमारी|
भव दुख......|| प्रभू ||.........|| 2 ||
मगशिर सुदि ग्यारस प्रभु के, केवलरवि प्रगट हुआ था,
समवसरण शुभ रचा सभी, दिव्यध्वनि पान किया था,
ह्रदय सरोज खिले भक्तों के, मिली ज्ञान उजियारी |
भव दुख..........|| प्रभू ..............|| 3 ||
तिथि वैसाख वदी चौदस, निर्वाण पधारे स्वामी,
श्री सम्मेदशिखर गिरि है, निर्वाणभूमि कल्याणी,
उस पावन पवित्र तीरथ का, कण-कण है सुखकारी |
भव दुख.........|| प्रभू..........|| 4 ||
हे नमिनाथ जिनेश्वर तव, चरणाम्बुज में जो आते,
श्रद्धायुत हों ध्यान धरें, मनवांछित पदवी पाते,
आश एक चंदनामती शिवपद पाऊं अविकारी |
भव दुख............|| प्रभू...........|| 5 ||