शास्त्रों में नाग देवता (naag dev) को लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार नाग देवता की पूजा (naag puja) करने से शिव शंकर प्रसन्न होकर व्यक्ति की सभी मनोकामना को शीघ्र पूर्ण कर देते हैं. यदि आप अपने घर की विघ्न-बाधाओं को दूर कर धन की बारिश कराना चाहते हैं, तो नाग देवता की ये आरती (naag ji ki aarti) जरूर पढ़ें. आरती की थाली में दीपक आटें से बना या पीतल धातु से बना दीपक ही रखें और उसमें रूऊ की बत्ती और गाय के घी का ही प्रयोग करें. तो, चलिए आपको बताते हैं कि नाग देवता की कौन-सी आरती (Naag Devta Ki Aarti) करने से वे प्रसन्न होते हैं.
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नाग देवता की आरती (naag devta aarti)
श्रीनागदेव आरती पंचमी की कीजै ।
तन मन धन सब अर्पण कीजै ।
नेत्र लाल भिरकुटी विशाला ।
चले बिन पैर सुने बिन काना ।
उनको अपना सर्वस्व दीजे।।
पाताल लोक में तेरा वासा ।
शंकर विघन विनायक नासा ।
भगतों का सर्व कष्ट हर लिजै।।
शीश मणि मुख विषम ज्वाला ।
दुष्ट जनों का करे निवाला ।
भगत तेरो अमृत रस पिजे।।
वेद पुराण सब महिमा गावें ।
नारद शारद शीश निवावें ।
सावल सा से वर तुम दीजे।।
नोंवी के दिन ज्योत जगावे ।
खीर चूरमे का भोग लगावे ।
रामनिवास तन मन धन सब अर्पण कीजै ।
आरती श्री नागदेव जी कीजै ।।