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Padamprabhu Bhagwan Aarti: पद्मप्रभु भगवान की करेंगे ये आरती, दुलर्भ कार्य होंगे सरल और सिद्धि की होगी प्राप्ति

पद्मप्रभु भगवान (padamprabhu bhagwan) जैन धर्म के छठें तीर्थंकर हैं. पद्मप्रभु भगवान की आरती रोजाना करने से दुलर्भ कार्य भी सरल हो जाते हैं. अनुयायियों द्वारा भगवान पद्मप्रभु की आरती (shri padamprabhu aarti) सिद्धि प्राप्ति के लिए भी की जाती है.

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Megha Jain
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Padamprabhu Bhagwan Aarti

Padamprabhu Bhagwan Aarti( Photo Credit : social media)

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पद्मप्रभु भगवान (padamprabhu bhagwan) जैन धर्म के छठें तीर्थंकर हैं. भगवान श्री पदम प्रभु जी का जन्म कौशांबी नगर के इक्ष्वाकु वंश में हुआ था. भगवान श्री पदम प्रभु जी (padamprabhu bhagvan aarti) का जन्म कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को चित्रा नक्षत्र में हुआ था. भगवान श्री पदम प्रभु जी (padamprabhu 6th trithankar aarti) के पिता का नाम राजा धरणराज और माता का नाम सुसीमा देवी था. पद्मप्रभु भगवान की आरती के निरंतर पाठ से दुलर्भ कार्य भी सरल हो जाते हैं. अनुयायियों द्वारा भगवान पद्मप्रभु की आरती (shri padamprabhu aarti) सिद्धि प्राप्ति के लिए भी की जाती है. भगवान श्री पद्मप्रभु ने संसार को अहिंसा के मार्ग का महत्व समझाया, जिससे ये सृष्टि और सुंदर बन सके.      

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पद्मप्रभु भगवान की आरती (bhagvan padamprabhu aarti hindi lyrics) 

जय पद्मप्रभु देवा, स्वामी जय पद्मप्रभु देवा ।
जय पद्मप्रभु देवा, स्वामी जय पद्मप्रभु देवा ।

तुम बिन कौन जगत में मेरा (२), पार करों देवा (२)
जय पद्मप्रभु देवा, स्वामी जय पद्मप्रभु देवा ॥

तुम हो अगम अगोचर स्वामी हम हैं अज्ञानी । (२)
अपरम्पार तुम्हारी महिमा, काहू ना जानी ॥ (२)
तुम बिन कौन जगत में मेरा

विघ्न निवारो संकट टारो, हम आये शरणा । (२)
कुमति हटा सुमति दीज्यो, कर जोड़ पड़े चरणा ॥ (२)
तुम बिन कौन जगत में मेरा

पाँव पड़े को पार लगाया सुख सम्पति दाता । (२)
श्रीपाल का कष्ट हटाकर, सुवर्ण तन कीना ॥ (२)
तुम बिन कौन जगत में मेरा

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