श्रेयांसनाथ भगवान (shreyansnath bhagwan) जैन धर्म के 11वें तीर्थंकर हैं. उनकी आरती (shreyansnath bhagwan aarti) नियमित रूप से करने से सभी सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है. श्रेयांसनाथ जी ने हमेशा अपने भक्तों को सत्य का मार्ग दिखाया है. भगवान श्रेयांसनाथ की आरती (shri shreyansnath aarti) उनके अनुयायियों को अहिंसा, धर्म और न्याय के पथ पर अग्रसर होने की प्रेरणा देती है. माना जाता है कि भगवान श्रेयांसनाथ की आरती (shreyansnath 11th trithankar aarti) अपने भीतर कोटि-कोटि शक्तियों को समेटे हुए हैं. इसलिए, इसको पढ़ने से सभी बिगड़े काम बन जाते हैं.
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श्री श्रेयांसनाथ भगवान की आरती (shreyansnath bhagwan jain aarti)
प्रभु श्रेयांस की आरती कीजे, भव भव के पातक हर लीजे।
प्रभु श्रेयांस की आरती कीजे, भव भव के पातक हर लीजे।
स्वर्ण वर्णमय प्रभा निराली, मूर्ति तुम्हारी हैं मनहारी।
सिंहपूरी में जब तुम जन्मे, सुरगण जन्म कल्याणक करते।
प्रभु श्रेयांस की आरती कीजे, भव भव के पातक हर लीजे।
विष्णु मित्र पितु, नन्दा माता, नगरी में भी आनन्द छाता।
फागुन वदि ग्यारस शुभ तिथि थी, जब प्रभु वर ने दीक्षा ली थी।
प्रभु श्रेयांस की आरती कीजे, भव भव के पातक हर लीजे।
माघ कृष्ण मावस को स्वामी,कहलाये थे केवलज्ञानी।
श्रावण सुदी पूर्णिमा आई, यम जीता शिव पदवी पाई।
श्रेय मार्ग के दाता तुम हो, जजे चन्दनामति शिवगति दो।
प्रभु श्रेयांस की आरती कीजे, भव भव के पातक हर लीजे।
प्रभु श्रेयांस की आरती कीजे, भव भव के पातक हर लीजे।