आदिनाथ भगवान (adinath bhagwan) जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर हैं. भगवान ऋषभदेव जी इस कालक्रम में जैन धर्म के प्रवर्तक है. आदिनाथ भगवान को ऋषभदेव के नाम से भी जाना जाता है. इन्के पिता का नाम नाभिराज तथा माता का नाम मरूदेवी था. भगवान ऋषभदेव ने असी, मसी और कृषी का निर्माण किया था. गणित और बाह्नी लिपी भी प्रभु आदिनाथ (shri adinath bhagwan ki aarti) की देन है. प्रभु ऋषभदेव जी के 100 पुत्र तथा दो पुत्रियाँ ब्रह्मी तथा सुंदरी जी थी.
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भगवान ऋषभदेव जी बाहुबली जी (adinath bhagvan 1st trithankar aarti) के पिता थे, जिनकी प्रतिमा गोमतेश्वर नामक तीर्थ में स्थित है. उनकी आरती रोजाना करने से शुभ फल प्राप्त होता है. इसके साथ ही दरिद्रता भी समाप्त हो जाती है. खास तौर से जो लोग उनकी आरती श्रद्धा-पूर्वक करते हैं. उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. तो, चलिए देख लें कि आपको उनकी कौन-सी आरती (adinath bhagwan aarti) करनी है.
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आदिनाथ भगवान की आरती (adinath ji ki aarti)
जगमग जगमग आरती कीजै, आदिश्वर भगवान की ।
प्रथम देव अवतारी प्यारे, तीर्थंकर गुणवान की । जगमग०
अवधपुरी में जन्मे स्वामी, राजकुंवर वो प्यारे थे,
मरु माता बलिहार हुई, जगती के तुम उजियारे थे,
द्वार द्वार बजी बधाई, जय हो दयानिधान की ।। जगमग०
बड़े हुए तुम राजा बन गये, अवधपुरी हरषाई थी, (२)
भरत बाहुबली सुत मतवारे मंगल बेला आई ; थी, (२)
करें सभी मिल जय जयकारे, भारत पूत महान की । जगमग०
नश्वरता को देख प्रभुजी, तुमने दीक्षा धारी थी, (२)
देख तपस्या नाथ तुम्हारी, यह धरती बलिहारी थी ।
प्रथम देव तीर्थंकर की जय, महाबली बलवान की ।। जगमग०
बारापाटी में तुम प्रकटे, चादंखेड़ी मन भाई है,
जगह जगह के आवे यात्री, चरणन शीश झुकाई है ।
फैल रही जगती में नमजी महिमा उसके ध्यान की ।। जगमग०