संभवनाथ भगवान (sambhavnath bhagwan) जैन धर्म के तीसरे तीर्थंकर हैं. उनकी आरती (sambhavnath bhagwan aarti) असंभव को संभव करने का स्रोत है. इसमें अननंत शक्ति विद्यमान है. जीवन और मृत्यु के बंधन से मुक्ति पाने के लिए भगवान संभवनाथ की आरती पढ़ना सबसे उत्तम माना गया है. इतना ही नहीं सच्चे मन से भगवान संभवनाथ की आरती (sambhavnath bhagwan 3rd trithankar aarti) पढ़ने से मनोवांछित फल मिलता है. इसके साथ ही जीवन के सारे दुख भी दूर (sambhavnath bhagavan stavan) होते हैं.
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संभवनाथ भगवान की आरती (sambhavnath bhagvan aarti)
आरती सम्भवनाथ तुम्हारी, हम सब गाये महिमा तिहारी।
चौदह वर्ष तपस्या ठानी, कर्मजयी तुम केवल ज्ञानी।
शीश झुकाते भक्त पुजारी, आरती सम्भवनाथ तुम्हारी।
तुमने आत्मज्योति प्रकटाई, कर्म शत्रुओ पर जय पाई।
संकटहारी शिव भर्तारी, आरती सम्भवनाथ तुम्हारी।
राजपाट क्षण भर में छोड़ा, शिव पथ पर जीवन रथ मोड़ा।
तुम हो तीर्थंकर पदधारी, आरती सम्भवनाथ तुम्हारी।
शरण तुम्हारी जो आता है, मनवांछित फल वह पाता है।
तुम शरणागत को सुखकारी, आरती सम्भवनाथ तुम्हारी।
संकटमोचन नाम तुम्हारा, जिसने मन से तुम्हे पुकारा।
मिली सिद्धियां मंगलकारी, आरती सम्भवनाथ तुम्हारी।
नाथ आरती यह स्वीकारो, भवसागर से पार उतारो।
हम सब सेवक आज्ञाकारी, आरती सम्भवनाथ तुम्हारी।