विमलनाथ भगवान (vimalnath bhagwan) जैन धर्म के 13वें तीर्थंकर हैं. भगवान विमलनाथ की आरती को श्रवण करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. माना जाता है कि श्रद्धा और भक्ति से की गई भगवान विमलनाथ (vimalnath bhagwan jaap) की आरती रोजाना करने से रोगों और कष्टों से मुक्ति मिलती है. भगवान श्री विमलनाथ (shri vimalnath bhagwan aarti) का शरीर सुवर्ण था तथा इन्हें जैन धर्म के तेरहवें तीर्थंकर के रूप में जाना जाता है. इनकी आरती करने से जीवन में धन-धान्य, सुख-समृद्धि और वैभव की प्राप्ति (vimalnath bhagwan 13th tirthankar aarti) होती है.
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विमलनाथ भगवान की आरती (vimalnath bhagwan aarti hindi lyrics)
तेरहवें जिनवर विमलनाथ की आरती करो रे।।टेक.।।
कृतवर्मा पितु राजदुलारे, जयश्यामा के प्यारे।
कम्पिलपुरि में जन्म लिया है, सुर नर वंदें सारे।।
आरती करो रे...
निर्मल त्रय ज्ञान सहित स्वामी की आरती करो रे।।1।।
शुभ ज्येष्ठ वदी दशमी प्रभु की, गर्भागम तिथि मानी जाती।
है जन्म और दीक्षा कल्याणक, माघ चतुर्थी सुदि आती।।
आरती करो रे...
मनःपर्यय ज्ञानी तीर्थंकर की आरती करो रे।।2।।
सित माघ छट्ठ को ज्ञान हुआ, धनपति शुभ समवसरण रचता।
दिव्यध्वनि प्रभु की खिरी और भव्यों का मन कुमुद खिलता।।
आरती करो रे...
केवलज्ञानी अर्हत प्रभु की आरती करो रे।।3।।
आषाढ़ वदी अष्टमी तिथि थी, पंचम गति प्रभुवर ने पाई।
शुभ लोक शिखर पर राजे जा, परमातम ज्योती प्रगटाई।।
आरती करो रे...
उन सिद्धिप्रिया के अधिनायक की आरती करो रे।।4।।
हे विमल प्रभू! तव चरणों में, बस एक आशा यह है मेरी।
मम विमल मती हो जावे प्रभु, मिल जाए मुझे भी सिद्धगती।।
आरती करो रे...
चंदना स्वात्मसुख पाने हेतू आरती करो रे।।5।।