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Krishna Ji Ki Aarti: करें कृष्ण जी ये आरती, होगी धन, शांति और समृद्धि की प्राप्ति

कृष्ण जी कई भक्तों के लिए चहेते रहे हैं. उन्होंने भक्तों के लिए हमेशा खड़े होने काम किया है. जब भी भक्त किसी परेशानी और तकलीफ में होते हैं तो उनको याद करते हैं और उनकी सारी समस्यों का निदान हो जाता है. उन्हें आज भी लोग आर्दश मानते हैं और पूजा करते है

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Vikash Gupta
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Krishna ji ki Aarti

Krishna ji ki Aarti ( Photo Credit : NEWS NATION)

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श्री कृष्ण जी को प्रेम का देवता माना जाता है. उन्होंने महाभारतक युद्ध के समय में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया. इसके बाद द्वापर में धर्म की स्थापना की. इसके साथ ही कहा जाता है कि भगवान कृष्ण हमेशा अपने भक्तों के लिए खड़े रहते हैं. इस बात की तस्दीक महाभारत के द्रोपदी प्रसंग से पता चलता है. उन्होंने द्रोपदी के इज्जत की रक्षा की थी. इसके साथ ही भगवान कृष्ण ने मात्र 11 साल की आयु कंस जैसे असूर को खत्म कर मथुरा के लोगों को उसके दुराचार से मुक्त कराया था. 

कृष्ण जी कई भक्तों के लिए चहेते रहे हैं. उन्होंने भक्तों के लिए हमेशा खड़े होने काम किया है. जब भी भक्त किसी परेशानी और तकलीफ में होते हैं तो उनको याद करते हैं और उनकी सारी समस्यों का निदान हो जाता है. उन्हें आज भी लोग आर्दश मानते हैं और पूजा करते हैं. भगवान कृष्ण का जन्म भाद्र महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था. उस वक्त वो मथुरा के जेल में बंद थे.  लेकिन उनके पिता वासुदेव जी ने उन्हें वहां से उठाकर गोकुल में नंद जी के घर छोड़ आए जहां उनका लालन पोषण हुआ. कृष्ण जी बचपन से ही नटखट हुआ करते थें. उन्होंने बचपन में कई असुरा का नाश किया और मथुरा के वासियों का कल्याण किया.  

भगवान कृष्ण जी के मंत्र
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे
ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नम:
ऊँ कृष्णाय नम: 

ॐ नमो भगवते श्री गोविंदाय नम:

कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणत क्लेशनाय गोविंदाय नमो नमः

श्रीकृष्ण की आरती
आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की..
आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की..
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला 
श्रवण में कुण्डल झलकाला,नंद के आनंद नंदलाला
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली
लतन में ठाढ़े बनमाली भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक
चंद्र सी झलक, ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की, आरती कुंजबिहारी की..
कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं.
गगन सों सुमन रासि बरसै, बजे मुरचंग,  मधुर मिरदंग ग्वालिन संग.
अतुल रति गोप कुमारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की..
 आरती कुंजबिहारी की..
जहां ते प्रकट भई गंगा, सकल मन हारिणि श्री गंगा.
स्मरन ते होत मोह भंगा, बसी शिव सीस.
जटा के बीच,हरै अघ कीच, चरन छवि श्रीबनवारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की, आरती कुंजबिहारी की..
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू 
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू 
हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद, कटत भव फंद
टेर सुन दीन दुखारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की..
आरती कुंजबिहारी की...

Source : News Nation Bureau

Shiv Ji Aarti Lyrics in Hindi Krishna ji ki Aarti Lyrics
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