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Ambe Maa Aarti: मां अंबे की करेंगे ये आरती, मिलेगा भक्ति का फल

मां अंबे (jai ambe aarti) स्त्री ममता का रूप होती हैं. जितनी भी देवियों की पूजा करते है उनके संदर्भ में ये बात जरुर कही जाती है कि वे ममतामयी मां होती है जो अपने भक्तों के दुखों को हरने के लिए हर संभव कोशिश करतीं हैं.

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Megha Jain
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ambe maa ki aarti

ambe maa ki aarti ( Photo Credit : social media)

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मां अंबे (ambe aarti) स्त्री ममता का रूप होती हैं. जितनी भी देवियों की पूजा करते है उनके संदर्भ में ये बात जरुर कही जाती है कि वे ममतामयी मां होती है जो अपने भक्तों के दुखों को हरने के लिए हर संभव कोशिश करती हैं. ऐसी ही हमारी अम्बे मां है. शेर पर सवार अम्बे मां (jai ambe gauri aarti) का रुप बहुत ही ममतामयी है. इसलिए, आज मैं आपको मां अंबे की आरती बताने जा रही हूं जिसे करके आप अपनी भक्ति (durga mata ki aarti) का फल पा सकेंगे. 

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अंबे मां की आरती (ambe maa aarti) 

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
तुमको निशिदिन ध्.वत, हरि ब्रह्मा शिवरी।।
ओम जय अम्बे गौरी।।

मांग सिंदूर विराजत, टीको जगमद को।
उज्जवल से दो नैना चन्द्रवदन नीको।।
ओम जय अम्बे गौरी।।

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै।।
ओम जय अम्बे गौरी।।

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी।।
ओम जय अम्बे गौरी

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति।।
ओम जय अम्बे गौरी।

शुंभ निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती।।
ओम जय अम्बे गौरी।।

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।
मधु-कैटव दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।
ओम जय अम्बे गौरी।।

ब्रम्हाणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।
आगम निगम बखानी, तुम शव पटरानी।।
ओम जय अम्बे गौरी।।

चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।।
ओम जय अम्बे गौरी।।

तुम ही जग की माता, तुम ही भरता।
भक्तन की दुख हरता सुख संपत्ति करता।।
ओम जय अम्बे गौरी।।

भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी।।
ओम जय अम्बे गौरी।

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति।।
ओम जय अम्बे गौरी।।

श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख संपति पावे।।
ओम जय अम्बे गौरी।।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।

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