Chanakya Niti:आचार्य चाणक्य भारतीय जीवन दर्शन के एक प्रमुख विचारक और शिक्षक रहे हैं. उनके अनुसार, हमें अपने आस-पास की हर चीज से कुछ न कुछ सीखने की कोशिश करनी चाहिए, और यह सीखना सिर्फ इंसानों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पशु-पक्षियों से भी हो सकता है. चाणक्य के अनुसार, मुर्गा भी हमें कई महत्वपूर्ण जीवनकौशल सिखा सकता है. आइए, जानते हैं कि मुर्गे से हम क्या-क्या सीख सकते हैं:
सुबह जल्दी उठने की आदत
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मुर्गा सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाता है, जब दिन का उजाला होने वाला होता है. इसके जरिए मुर्गा हमें सुबह जल्दी उठने का महत्व सिखाता है. अगर आप सुबह जल्दी उठते हैं, तो आप अपने सारे काम समय पर और बेहतर तरीके से निपट सकते हैं. इससे आप छोटे-छोटे प्रयासों से सफलता की ओर बढ़ सकते हैं और जीवन में कई महत्वपूर्ण काम समय पर पूरे कर सकते हैं.
विपरीत परिस्थितियों के लिए तैयार रहना
मुर्गा हमेशा चौकस रहता है और विपरीत परिस्थितियों का सामना करने के लिए तैयार रहता है. चाणक्य के अनुसार, मनुष्य को भी हमेशा खुद को तैयार रखना चाहिए. चाहे परिस्थितियां कितनी भी सकारात्मक क्यों न हों, हमें विपरीत परिस्थितियों का सामना करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए. यह आदत हमें हर स्थिति में संतुलित और मजबूत बनाती है.
झुंड में भी अपनी विशेषता बनाए रखना
मुर्गे का एक महत्वपूर्ण गुण है कि वह झुंड में रहते हुए भी अपनी अलग-अलग विशेषताओं को बनाए रखता है. चाणक्य के अनुसार, मनुष्य को भी अपनी विशेषताओं को बनाए रखना चाहिए. अपने व्यक्तिगत गुण और पहचान को समझकर हम समाज में अपनी अलग पहचान बना सकते हैं, चाहे हम किसी भी समूह का हिस्सा क्यों न हों.
मिल-बांटकर खाना
मुर्गे की एक और विशेषता है कि वह अपने साथियों के साथ मिल-बांटकर खाता है. यह आदत हमें सिखाती है कि हमें भी अपने साथियों के साथ प्रेम और साझेदारी की भावना बनाए रखनी चाहिए. जब हम अपने साथी के साथ मिल-बांटकर काम करते हैं और उनके साथ अच्छा व्यवहार करते हैं, तो इससे पॉजिटिविटी बनी रहती है और हम जीवन में सफल हो सकते हैं.
सहानुभूति की भावना
मुर्गे में सहानुभूति की भावना भी होती है. जब कोई मुर्गा या चूजा डर के मारे पास जाता है, तो बाकी मुर्गे उसकी सहायता करने के लिए वहां पहुंच जाते हैं. इस भावना से हमें यह सीखने को मिलता है कि हमें भी अपने आस-पास के लोगों के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए. दूसरों की परेशानियों को समझना और उनकी मदद करना हमें एक अच्छा इंसान बनाता है और समाज में पॉजिटिविटी को बढ़ावा देता है.
आचार्य चाणक्य का यह विचार कि हम हर जीव से कुछ न कुछ सीख सकते हैं, वास्तव में बहुत महत्वपूर्ण है. मुर्गे की इन आदतों को अपनाकर हम अपने जीवन को और बेहतर बना सकते हैं और समाज में एक सकारात्मक योगदान दे सकते हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)