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Ear Piercing Mystery and Health Benefits: धर्म और विज्ञान का ये कैसा जादूई करिश्मा, कान छिदवाने से इन बीमारियों समेत कभी नहीं होता लकवा

कान छिदवाना धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. लेकिन इसका वैज्ञानिक आधार भी है. जहां कान छिदवाने से कभी लकवा नहीं मारता वहीं, इसके कई और स्वास्थ्य लाभी भी हैं.

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Gaveshna Sharma
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कान छिदवाने से इन बीमारियों समेत कभी नहीं होता लकवा

कान छिदवाने से इन बीमारियों समेत कभी नहीं होता लकवा ( Photo Credit : Social Media)

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हिंदू धर्म में जन्म से लेकर अंत अंत्येष्टि तक कुल मिलाकर 16 संस्कार किए जाते हैं. शास्त्रों में भी इन संस्कारों का महत्व बताया गया है. सभी 16 संस्कारों के अलग-अलग महत्व और विशेषताएं हैं. इन्हीं 16 संस्कारों में से एक है 'कर्ण छेदन संस्कार' (Ear Piercing Dharmik Importance). हिन्दू धर्म में कान छिदवाने को 'कर्ण छेदन या कर्ण भेदन संस्कार' के तौर पर जाना जाता है. कान छिदवाना धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. लेकिन आपको बता दें कि इसका सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक आधार भी है. कान छिदवाने से कई ऐसे हेल्थ बेनेफिट्स (Health Benefits Of Ear Piercing) होते हैं जो बेहद हैरान कर देने वाले हैं. जहां कान छिदवाने से कभी लकवा (Ear Piercing Prevents From Paralysis) नहीं मारता वहीं, इसके कई और स्वास्थ्य लाभ भी हैं.

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कान छिदवाने का धार्मिक महत्व 
हिंदू धर्म में जिन 16 संस्कारों का वर्णन है उनमे से एक कर्ण छेदन संस्कार है. इस संस्कार के तहत बचपन में भी बच्चों के कान छिदवाए जाते हैं. ऐसे में लड़कों के दाएं और लड़कियों के बाएं कान छिदवाए जाते हैं. इस क्रम में कर्णभेदन मंत्र के उच्चारण के साथ कान में सोने का एक सुनहरा तार पहना दिया जाता है. धार्मिक ग्रंथों में कनछेदन संस्कार का विशेष महत्व बताया गया है. इसे सैंदर्य, बुद्धि और सेहत के लिए खास माना जाता है. हिंदू धर्म शास्त्रों में कर्ण भेदन संस्कार के लिए कई शुभ मुहूर्त का उल्लेख किया गया है. जिसके मुताबिक बच्चे के जन्म के 12वें या 16वें दिन कान छिदवाना सर्वोत्तम है. साथ ही इस संस्कार को जन्म के छठे, 7वें या 8वें महीने में किया जा सकता है. इसके अलावा अगर इस संस्कार को जन्म के एक साल के भीतर नहीं किया गया हो इसे विषम वर्ष यानी तीसरे, पांचवें या सातवें वर्ष में करवाना चाहिए.  

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कान छिदवाने का वैज्ञानिक महत्व 

- सुनने की क्षमता को बढाएं
वैज्ञानित तथ्यों के अनुसार माना जाता है कि जिस जगह कान छिदवाया जाता है वहां पर दो बहुत जरूरी एक्‍यूप्रेशर प्‍वाइंट्स मौजूद होते हैं. पहला मास्‍टर सेंसोरियल और दूसरा मास्‍टर सेरेब्रल. जो कि आपकी सुनने की क्षमता को बढाते है. साथ ही टिटनेस जैसी समस्या से निजात दिलाने में भी काम करता है.

- प्रजनन क्षमता को रखें सही
कान छिदवाना दोनो के लिए फायदेमंद है। वैज्ञानिक कारणों के अनुसार माना जाता है कि महिलाओं और पुरुष के कान के बीच की सबसे खास जगह जिसे प्रजनन के लिए जिम्मेदार माना जाता है. उसके लिए फायदेमंद है. साथ ही महिलाओं को पीरियड्स में होने वाली समस्या से भी निजात दिलाता है.

- पुरुषों के लिए भी फायदेमंद
माना जाता है कि अगर किसी पुरुष ने कान छिदवाया है तो उसे कभी भी लकवा की शिकायत नहीं हो सकती है. साथ ही यह वीर्य को संचित करने में भी लाभदायक होता है. इसके साथ ही ये कई तरह के  इंफेक्शन, हाइड्रोसील और पुरुषों में ज्यादातर देखी जाने वाली हर्निया की समस्या भी दूर करता है साथ ही चेहरे में ग्लो भी लाता है.

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- पेट को रखें सही
कान छिदवाने का एक और फायदा है। ये पेट संबंधी हर समस्या से निजात दिलाता है. जिस जगह कान छिदता है वहां पर उत्तेजना से पाचन प्रणाली को स्‍वस्‍थ बनाएं रखने में मदद मिलती है. एक्यूप्रेशर प्वाइंट व्यक्ति की पाचन तंत्र की कार्यप्रणाली पर नजर रखने और मोटापा होने की संभावना को कम करने में मदद करता है.

- आंखों के लिए अच्छा
कान में छेद करवाना आपकी दृष्टि में सुधार करने में मदद करता है. एक्यूपंक्चर के अनुसार, कान के बीच के कें‍द्रीय बिंदु का संबंध आंखों की रोशनी से होता है. एक्‍यूपंक्‍चर में इसी जोड़ पर दबाव डाला जाता है, जिससे आंखों की रोशनी सही रहती है.

- मानसिक क्षमता को बढाएं
वैज्ञानिक कारणों के अनुसार माना जाता है कि कान छिदवाने से ब्रेन में ब्‍लड सर्कुलेशन सही प्रकार से होता है. जिसके कारण आपका दिमाग तेजी से काम करता है. साथ ही उसे तेज करने का काम करता है. इसी कारण पहले जमाने की बात करें तो गुरुकुल में जाने वाले बालक कान छिदवाते थे जिससे कि उनका दिमाग तेजी से काम करें.

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