हनुमान जी (hanuman ji) हमेशा ही अपने भक्तों पर आने वाली हर मुश्किल और परेशानी को हर लेते हैं. इसी वजह से उन्हें संकटमोचन के नाम से भी जाना जाता है. वैसे तो हनुमान जी (Lord Hanuman) खुद भी श्री राम के भक्त हैं और हमेशा ही उनके नाम का स्मरण करते आए हैं. लेकिन, एक बार जब भगवान श्री राम संकट में पड़ गए थे तब उन्होंने अपने पंचमुखी अवतार (panchmukhi hanuman) को धारण करके उन्हें भी संकट से निकाला था. अक्सर लोगों के मन में ये सवाल आता भी होगा कि आखिर इसके पीछे कौन-सा राज छिपा है. तो, चलिए बताते हैं आपको कि आखिर हनुमान जी के पंचमुखी अवतार का रहस्य क्या है.
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आपको बता दें कि एक बार श्रीराम और रावण के बीच गंभीर युद्ध चल रहा था. जिसमें एक-एक करके रावण के सभी शक्तिशाली योद्धा मारे जा रहे थे. अंत में जब रावण का सबसे बलशाली एवं पराक्रमी पुत्र मेघनाद भी मारा गया तब रावण चिंता और शोक में डूब गया. जहां उसके पास कोई भी पराक्रमी योद्धा नहीं बचा था. अब, इसी दौरान रावण को अपने भाई अहिरावण (panchmukhi hanuman story) की याद आ गई जो कि पाताल-लोक का राजा था. अपनी मदद के लिए रावण ने उसे बुलवाने के लिए भेज दिया. विभीषण (Ahiravan Vadh Katha) को बहुत जल्दी ही अपने गुप्तचरों से इस बात का पता चल गया था. विभीषण जानता था की अहिरावण बहुत ही ज्यादा पराक्रमी और मायावी राक्षस है. इसलिए उसे श्रीराम और लक्ष्मण की सुरक्षा की चिंता सताने लगी.
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जब विभीषण ने अपनी चिंता हनुमान जी को बताई तो उन्होंने खुद श्रीराम और लक्ष्मण जी की सुरक्षा का भार संभाला. वहां रावण की आज्ञा का पालन करते हुए अहिराण भी पहुंच चुका था. उसेक आने के बाद ही रावण ने अहिराण को श्रीराम और लक्ष्मण का वध करने के लिए भेज दिया. प्रभु राम और लक्ष्मण अपनी कुटिया में सो रहे थे और हनुमान जी (hanuman panchmukhi story) बाहर पहरा दे रहे थे. हनुमान जी ने कुटिया के चारों ओर सुरक्षा का अभेद्य घेराव बना दिया था. जिसके अन्दर किसी मायावी शक्ति का घुसना मुश्किल था.
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अहिरावण कुटिया के बाहर तो पहुंचा लेकिन मायावी होने की वजह से अंदर ना जा सका. जिसके बाद उन्होंने अपनी मायावी शक्तियों का इस्तेमाल करके विभीषण का रूप धारण किया और हनुमान जी के पास जाकर श्रीराम के दर्शन करने की बात कही. हनुमान जी ने अहिरावण को विभीषण समझ कर कुटिया में प्रवेश दे दिया. अंदरर पहुंचते ही अहिरावण ने श्रीराम (lord ram) और लक्ष्मण का पत्थर की शिला के साथ ही अपहरण कर लिया और पाताल लोक ले गया. विभीषण को जैसे ही ये दु:खद समाचार प्राप्त हुआ. वे भी व्याकुल हो उठे क्योंकि वो जानते थे कि अहिरावण जैसे मायावी राक्षस से श्रीराम और लक्ष्मण को कितना खतरा है.
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हनुमान जी को ये पता लगने पर वे जल्दी ही पाताल लोक के लिए निकल पड़े. जहां का सुरक्षा प्रहरी मकरध्वज था. जो हनुमान जी को देखते ही उनके चरणों में गिर पड़ा. पूछने पर उसने बताया कि वह उनका पुत्र है और उनके दर्शन पाकर वो धन्य हो गया. मकरध्वज ने हनुमान जी को अपनी रोचक जन्म-कथा बताई. कथा जानने के बाद जब वे अंदर जाने लगे तो मकरध्वज ने उन्हें रोका पर वे नहीं रुके और अंदर चले गए. जहां श्रीराम और लक्ष्मण को मूर्छित अवस्था में देख कर वे बहुत दुखी हुए और अहिरावण के लिए क्रोध से भर गए.
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अहिरावण अपनी मायावी देवी के पास श्रीराम और लक्ष्मण की बलि चढ़ाने की तैयारी कर रहा था. अहिरावण ने मायावी देवी की प्रतिमा के आस-पास पांच दीप जला रखे थे जिनको एक साथ एक ही समय पर बुझाने से ही अहिरावण की मृत्यु संभव थी. तब हनुमान जी ने अपना पंचमुखी रूप धारण किया और फिर एक साथ पांचों दीपों को बुझा दिया. पांचों दीपों के बुझते ही अहिरावण की मृत्यु हो गई. उसके बाद हनुमान जी ने श्रीराम और लक्ष्मण को बंधनों से मुक्त किया तथा पुन: पृथ्वी लोक चले गए. यही है हनुमान जी के पंचमुखी होने का कारण.