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Lord Shiva Anshavtar: ये झेल रहे हैं अभिशाप, बताए जाते हैं भगवान शिव के अंशावतार

धरती पर बुराइयों का नाश करने और धर्म की स्थापना करने के लिए भगवान विष्णु और शिव (lord shiva) ने कई बार अवतार लिया है. भोलेनाथ के दो अंशावतार आज भी धरती पर मौजूद हैं. तो, चलिए आपको बताते हैं कि भगवान शिव के वो अंशावतार (shiva anshavtar) कौन-से हैं.

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Megha Jain
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lord shiv anshavtar

lord shiv anshavtaar( Photo Credit : social media)

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धरती पर बुराइयों का नाश करने और धर्म की स्थापना करने के लिए भगवान अवतार लेते ही हैं. जैसे भगवान विष्‍णु (lord vishnu) और भगवान शिव (Lord Shiva) ने भी कई बार लिया है. शास्‍त्रों में भगवान शिव और भगवान विष्‍णु के कलियुग के अवतारों का भी वर्णन किया गया है. भगवान विष्‍णु कलियुग में कल्कि रूप में अवतार लेंगे. जबकि भोलेनाथ के 2 अवतार तो आज भी इस धरती पर मौजूद हैं. तो, चलिए आपको बताते हैं कि आखिर भगवान शिव के वो अंशावतार (Shiv avtar) कौन-से हैं. 

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भगवान शिव के दोनों अवतार 
भगवान शिव के 2 अवतार हैं. एक तो भगवान हनुमान है और दूसरे महाभारत काल के योद्धा अश्‍वत्‍थामा है. इनमें से भगवान हनुमान तो पूजे जाते हैं जो कि सब जानते (shiv ji anshavtaar) हैं. लेकि,न वहीं अश्‍वत्‍थामा के बारे में कहा जाता है कि आज भी वो कहीं घने जंगल में भटक रहे हैं. हनुमान जी (Lord hanuman) ने वानरराज केसरी की पत्‍नी अंजनी की कोख से जन्‍म लिया था. वहीं अश्‍वत्‍थामा का जन्‍म गुरु द्रोणाचार्य के घर में हुआ था. इसके लिए दोणाचार्य ने घोर तपस्या करके शिवजी से वरदान मांगा था कि वे उनके पुत्र के रूप में जन्‍म लें. तभी सवन्तिक रूद्र के अंश से अश्वत्थामा (ashwatthama) का जन्म हुआ.

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माता सीता ने दिया था आशीर्वाद 
बात अगर भगवान शिव के पहले अवतार बहनुमान जी कि की जाए तो जब पवनपुत्र हनुमान माता सीता (sita mata) को खोजने के लिए पूरा समुद्र लांघ कर लंका पहुंचे तो सीता माता ने उन्‍हें अमर होने का आशीर्वाद दिया था. इसलिए कहा जाता है कि हनुमान जी आज भी जीवित हैं और उनके भक्‍तों की संख्‍या अनगिनत है.

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अश्वत्थामा को मिला श्राप 
वहीं बात अगर उनके दूसरे रूप यानी कि अश्वत्थामा की कि जाए तो महाभारत युद्ध के समय जब कौरवों की हार हो गई थी. तो, अश्वत्थामा ने रात को सोते टाइम पांडवो के पांचों बेटों की हत्‍या कर दी थी. इसके साथ ही उत्तरा के गर्भ को समाप्त करने के लिए ब्रह्मास्त्र का भी इस्तेमाल किया था. इससे नाराज होकर भगवान श्री कृष्ण ने अश्वत्थामा को श्राप दिया था कि तुम चिरकाल तक पृथ्वी पर जीवित रहोगे और भटकते (intresting mythological stories) रहोगे. 

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