Makar Sankranti 2024: भारत एक विविधाताओं वाला देश है. यहां अनेक भाषा, बोलियां, परंपराएं, रिती-रिवाज और त्योहार मनाए जाते हैं. सभी देशवासी मिलकर इन त्योहारों के सेलिब्रेट करते हैं. हर त्योहर की भी अपनी अलग मान्यता है. हमारों घरों में अब मकर संक्रांति का पर्व मनाने की तैयारी चल रही है. इस खास त्योहार पर हम तिल और मूंगफली की बनी चीजें खाते हैं. इस दिन का सबसे खाना है खिचड़ी. मकर संक्रांति पर हर घर में खिचड़ी अनिवार्य रूप से बनाई जाती है. मकर सक्रांति को हिन्दी कैलेंडर में मकर संक्रांति के रूप में जाना जाता है और यह हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है. इस दिन सूर्य देवता उत्तरायण में समाप्त होते हैं और मकर राशि में प्रवेश करते हैं. इस मौके पर लोग खासतर से खिचड़ी खाते हैं. लेकिन कई लोगों का सवाल यह है कि आखिर इस दिन खिचड़ी क्यों खाई जाती है और इसके पीछे की मान्यता या कहनी क्या है.
खिचड़ी इस पर्व के दिन प्रमुख भोजन में से एक है, और इसके पीछे कई कारण हैं:
सूर्य पूजा: मकर सक्रांति पर लोग सूर्य देवता की पूजा करते हैं. खिचड़ी में तिल, घी, और मूंगफली जैसे सामग्री होती हैं, जो सूर्य की पूजा में उपयोग होने वाली हैं.
उत्तरायण के मौके पर पर्व: मकर सक्रांति पर उत्तरायण होता है, जिसे हिन्दी पंचांग में सूर्य का यात्रा के रूप में माना जाता है. इसे मेवा में खिचड़ी के रूप में मनाना हिन्दू परंपरा में है.
गर्मी का मौसम: मकर सक्रांति का मौसम सर्दी का होता है, इसलिए खिचड़ी जैसे गरम भोजन का सेवन करना सेहत के लिए फायदेमंद होता है. खिचड़ी में हल्दी, जीरा, और धनिया का सेवन सर्दी में फायदेमंद होता है.
शास्त्रीय पौराणिक परंपरा: हिन्दू शास्त्रों में इस दिन को खिचड़ी खाने का विशेष महत्व है, जो सूर्य देवता की पूजा में उपयोग होने वाली बहुत सी सामग्रीयों से बनती है.
इस प्रकार, मकर सक्रांति पर खिचड़ी खाना एक पौराणिक परंपरा और सौरमंडलीय परिवर्तन के रूप में आत्म-साक्षात्कार का समय मनाने का एक तरीका है.
Source : News Nation Bureau