Adinath Bhagwan Chalisa: आदिनाथ भगवान की पढ़ेंगे ये चालीसा, मनोकामनाएं होंगी पूरी और समाप्त होगी दरिद्रता

आदिनाथ जी (adinath bhagwan) को ऋषभदेव के नाम से भी जाना जाता है. रोजाना उनकी चालीसा (adinath bhagwan chalisa) को करने से दरिद्रता समाप्त हो जाती है. खास तौर से जो लोग उनके पाठ को श्रद्धा-पूर्वक करते हैं साथ ही सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है.

author-image
Megha Jain
New Update
Adinath Bhagwan Chalisa

Adinath Bhagwan Chalisa ( Photo Credit : social media )

Advertisment

भगवान श्री आदिनाथ जी (adinath bhagwan) जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर हैं. आदिनाथ जी को ऋषभदेव के नाम से भी जाना जाता है. आदिनाथ भगवान (adinath bhagwan 1st trithankar) की आराधना के लिए श्री आदिनाथ चालीसा का पाठ करना बहुत ही शुभ फलदायक होता है. ये चालीसा उनके ही पावन जीवन-चरित (shri aadinath chalisa) का वर्णन करती है. उनकी इस चालीसा को रोजाना चालीस बार करने से दरिद्रता समाप्त हो जाती है. खास तौर से जो लोग उनके पाठ को श्रद्धा-पूर्वक करते हैं. उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. पहले हम उनकी चालीसा (adinath bhagvan chalisa) का पाठ कर लेतें हैं. 

यह भी पढ़े : Parshuram Jayanti 2022 Janm Katha: परशुराम जी को मिला था चिरंजीवी रहने का वरदान, जानें उनकी जन्म कथा

आदिनाथ भगवान का चालीसा (adinath chalisa hindi lyrics) 

शीश नवा अरिहंत को, सिद्धन को, करुं प्रणाम |
उपाध्याय आचार्य का ले सुखकारी नाम ||
सर्व साधु और सरस्वती जिन मन्दिर सुखकार |
आदिनाथ भगवान को मन मन्दिर में धार ||

-: चौपाई :-

जै जै आदिनाथ जिन स्वामी, तीनकाल तिहूं जग में नामी |
वेष दिगम्बर धार रहे हो, कर्मों को तुम मार रहे हो ||
हो सर्वज्ञ बात सब जानो सारी दुनियां को पहचानो |
नगर अयोध्या जो कहलाये, राजा नाभिराज बतलाये ||
मरुदेवी माता के उदर से, चैत वदी नवमी को जन्मे |
तुमने जग को ज्ञान सिखाया, कर्मभूमी का बीज उपाया ||
कल्पवृक्ष जब लगे बिछरने, जनता आई दुखड़ा कहने |
सब का संशय तभी भगाया, सूर्य चन्द्र का ज्ञान कराया ||
खेती करना भी सिखलाया, न्याय दण्ड आदिक समझाया |
तुमने राज किया नीति का, सबक आपसे जग ने सीखा ||
पुत्र आपका भरत बताया, चक्रवर्ती जग में कहलाया |
बाहुबली जो पुत्र तुम्हारे, भरत से पहले मोक्ष सिधारे ||
सुता आपकी दो बतलाई, ब्राह्मी और सुन्दरी कहलाई |
उनको भी विद्या सिखलाई, अक्षर और गिनती बतलाई ||
एक दिन राजसभा के अन्दर, एक अप्सरा नाच रही थी |
आयु उसकी बहुत अल्प थी, इसीलिए आगे नहीं नाच रही थी ||
विलय हो गया उसका सत्वर, झट आया वैराग्य उमड़कर |
बेटों को झट पास बुलाया, राज पाट सब में बंटवाया ||
छोड़ सभी झंझट संसारी, वन जाने की करी तैयारी |
राव (राजा) हजारों साथ सिधाए, राजपाट तज वन को धाये ||
लेकिन जब तुमने तप किना, सबने अपना रस्ता लीना |
वेष दिगम्बर तजकर सबने, छाल आदि के कपड़े पहने ||
भूख प्यास से जब घबराये, फल आदिक खा भूख मिटाये |
तीन सौ त्रेसठ धर्म फैलाये, जो अब दुनियां में दिखलाये ||
छैः महीने तक ध्यान लगाये, फिर भोजन करने को धाये |
भोजन विधि जाने नहिं कोय, कैसे प्रभु का भोजन होय ||
इसी तरह बस चलते चलते, छः महीने भोजन बिन बीते |
नगर हस्तिनापुर में आये, राजा सोम श्रेयांस बताए ||
याद तभी पिछला भव आया, तुमको फौरन ही पड़धाया |
रस गन्ने का तुमने पाया, दुनिया को उपदेश सुनाया ||
तप कर केवल ज्ञान पाया, मोक्ष गए सब जग हर्षाया |
अतिशय युक्त तुम्हारा मन्दिर, चांदखेड़ी भंवरे के अन्दर ||
उसका यह अतिशय बतलाया, कष्ट क्लेश का होय सफाया |
मानतुंग पर दया दिखाई, जंजीरें सब काट गिराई ||
राजसभा में मान बढ़ाया, जैन धर्म जग में फैलाया |
मुझ पर भी महिमा दिखलाओ, कष्ट भक्त का दूर भगाओ ||

पाठ करे चालीस दिन, नित चालीस ही बार |
चांदखेड़ी में आय के, खेवे धूप अपार ||
जन्म दरिद्री होय जो, ; होय कुबेर समान |
नाम वंश जग में चले, जिनके नहीं सन्तान ||

adinath bhagwan adinath chalisa adinath bhagwan chalisa shri aadinath chalisa aadinath jain chalisa adinath best jain chalisa adinath world best jain chalisa adinath bhagwan 1st trithankar adinath bhagwan 1st trithankar jain chalisa
Advertisment
Advertisment
Advertisment