Vasupujya Bhagwan Chalisa: वासुपूज्य भगवान की रोजाना पढ़ेंगे ये चालीसा, कर्मों के बंधन से मिलेगा छुटकारा

वासुपूज्य भगवान (vasupujya bhagwan) जैन धर्म के 12वें तीर्थंकर हैं. उनका चालीसा सभी कर्मों के बंधन से छुटकारा दिलाने वाला है. इस चालीसा (vasupujya bhagwan best jain chalisa) का पाठ ह्रदय को भी शुद्ध करने वाला माना गया है.

author-image
Megha Jain
New Update
Vasupujya Bhagwan Chalisa

Vasupujya Bhagwan Chalisa ( Photo Credit : social media)

Advertisment

वासुपूज्य भगवान (vasupujya bhagwan) जैन धर्म के 12वें तीर्थंकर हैं. भगवान वासुपूज्य का जन्म चम्पापुरी के राजपरिवार में फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी के दिन हुआ था. इनके पिता का नाम वासुपुज्य राजा और माता का नाम जयावती था. उनका चालीसा सभी कर्मों के बंधन से छुटकारा दिलाने वाला है. जो भी उन्हें अपने ह्रदय में स्थापित करके रोजाना उनका चालीसा (vasupujya bhagwan ka chalisa) पढ़ता है, उसे वो सब कुछ मिलता है जिसकी उसने कामना की हो. इस चालीसा (vasupujya bhagwan best jain chalisa) का पाठ ह्रदय को भी शुद्ध करने वाला माना गया है.    

यह भी पढ़े : Sudden Waking at Night Indicates Severe Paranormal Things: रात को अचानक नींद खुल जाना नहीं है कोई आम बात, आत्माएं देती हैं ये गंभीर संकेत... जान पर भी बन आ सकती है बात

वासुपूज्य भगवान का चालीसा (vasupujya bhagwan jain chalisa)

वासुपूज्य महाराज का चालीसा सुखकार ।
विनय प्रेम से बॉचिये करके ध्यान विचार ।
जय श्री वासु पूज्य सुखकारी, दीन दयाल बाल ब्रह्मचारी ।
अदभुत चम्पापुर राजधानी, धर्मी न्यायी ज्ञानी दानी ।
वसू पूज्य यहाँ के राजा, करते राज काज निष्काजा ।
आपस मेँ सब प्रेम बढाने, बारह शुद्ध भावना भाते ।
गऊ शेर आपस ने मिलते, तीनों मौसम सुख मेँ कटते ।
सब्जी फल घी दूध हों घर घर, आते जाते मुनी निरन्तर ।
वस्तु समय पर होती सारी, जहाँ न हों चोरी बीमारी ।
जिन मन्दिर पर ध्वजा फहरायें, घन्टे घरनावल झन्नायेँ ।
शोभित अतिशय मई प्रतिमाये, मन वैराग्य देरव छा जायेँ ।
पूजन, दर्शन नव्हन कराये, करें आरती दीप जलायें ।
राग रागनी गायन गायें, तरह तरह के साज बजायें ।
कोई अलौकिक नृत्य दिखाये, श्रावक भक्ति में भर जायें ।
होती निशदिन शास्त्र सभायें, पद्मासन करते स्वाध्यायेँ ।
विषय कषायेँ पाप नसायें, संयम नियम विवेक सुहाये ।
रागद्वेष अभिमान नशाते, गृहस्थी त्यागी धर्मं निभाते ।
मिटें परिग्रह सब तृष्णये, अनेकान्त दश धर्म रमायें ।
छठ अषाढ़ बदी उर -आये, विजया रानी भाग्य जगाये ।
सुन रानी से सोलह सुपने, राजा मन में लगे हरषने ।
तीर्थंकर लें जन्म तुम्हारे, होंगे अब उद्धार हमारे ।
तीनो बक्त नित रत्न बरसते, विजया मॉ के आँगन भरते ।
साढे दस करोड़ थी गिनती, परजा अपनी झोली भरती ।
फागुन चौदस बदि जन्माये, सुरपति अदभुत जिन गुण गाये ।
मति श्रुत अवधि ज्ञान भंडारी, चालिस गुण सब अतिशय धारी ।
नाटक ताण्डव नृत्य दिखाये, नव भव प्रभुजी के दरशाये ।
पाण्डु शिला पर नव्हन करायें, वन्त्रभूषन वदन सजाये ।
सब जग उत्सव हर्ष मनायें, नारी नर सुर झूला झुलायेँ ।
बीते सुख में दिन बचपन के, हुए अठारह लारव वर्ष के ।
आप बारहवें हो तीर्थकर, भैसा चिंह आपका जिनवर ।
धनुष पचास बदन केशरिया, निस्पृह पर उपकार करइया ।
दर्शन पूजा जप तप करते, आत्म चिन्तवन में नित रमते ।
गुर- मुनियों का आदर कते, पाप विषय भोगों से बचते ।
शादी अपनी नहीं कराई, हारे नान मात समझाई ।
मात पिता राज तज दीने, दीक्षा ले दुद्धर तप कीने ।
माघ सुदी दोयज दिन आया, कैवलज्ञान आपने पाया ।
समोशरण सुर रचे जहाँ पर, छासठ उसमें रहते गणधर ।
वासु पूज्य की खिरती वाणी, जिसको गणघरवों ने जानी ।
मुख से उनके वो निकली थी, सब जीवों ने वह समझी थी ।
आपा आप आप प्रगटाया, निज गुण ज्ञान भान चमकाया ।
सब भूलों को राह दिखाई, रत्नत्रय की जोत जलाई ।
आत्म गुण अनुभव करवाया, ‘सुमत’ जैनमत जग फैलाया ।
सुदी भादवा चौदस आई, चम्पा नगरी मुक्ती पाई ।
आयु बहत्तर लारव वर्ष की, बीती सारी हर्ष धर्म की ।
और चोरानवें थे श्री मुनिवर, पहुँच गये वो भी सब शिवपुर ।
तभी वहाँ इन्दर सुर आये, उत्सव मिल निर्वाण मनाये ।
देह उडी कर्पुर समाना, मधुर सुगन्धी फैला नाना ।
फैलाई रत्नों को माला, चारों दिशा चमके उजियाला ।
कहै ‘सुमत’ क्या गुण जिन राई, तुम पर्वत हो मैं हूँ राई ।
जब ही भक्ती भाव हुआ है, चम्पापुर का ध्यान किया हैं ।
लगी आश मै भी कभी जाऊँ, वासु पूज्य के दर्शन पाऊँ ।

सोरठा
खेये धूप सुगन्ध, वासु पूज्य प्रभु ध्यान के ।
कर्म भार सब तार, रूप स्वरूप निहार के ।
मति जो मन में होय, रहें वैसी हो गति आय के ।
करो सुमत रसपान, सरल निज्जात्तम पाय के ।

vasupujya bhagwan vasupujya bhagwan jivan charitra vasupujya bhagwan 12th trithankar vasupuja bhagwan jain chalisa vasupujya bhagwan chalisa vasupujya bhagwan best jain chalisa vasupujya bhagwan world best jain chalisa vasupujya bhagwan 12th trithankar ch
Advertisment
Advertisment
Advertisment