शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए पौष्टिक आहार, नियमित दिनचर्या, व्यायाम और एक अच्छी नींद (Sleep) लेना अति आवश्यक है. हमें स्वस्थ्य रखने में नींद (Sleep) की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. हम चाहे जितना भी अपना अच्छा खान-पान रखें किन्तु अगर नींद (Sleep) अच्छी नहीं ले रहें है तो हम कभी भी स्वास्थ्य लाभ नहीं पा सकते हैं. इसी लिए हमारे वेद पुराणों में कुछ नियम बताए गए हैं जिनका पालन करके आप दिर्घायु हो सकते हैं..
- सूने तथा निर्जन घर में अकेला नहीं सोना चाहिए. देवमन्दिर और श्मशान में भी नहीं सोना चाहिए. (मनुस्मृति)
- किसी सोए हुए मनुष्य को अचानक नहीं जगाना चाहिए. (विष्णुस्मृति)
- विद्यार्थी, नौकर औऱ द्वारपाल, ये ज्यादा देर तक सोए हुए हों तो, इन्हें जगा देना चाहिए. (चाणक्यनीति)
- स्वस्थ मनुष्य को आयुरक्षा हेतु ब्रह्ममुहुर्त में उठना चाहिए. (देवीभागवत) बिल्कुल अंधेरे कमरे में नहीं सोना चाहिए. (पद्मपुराण)
- भीगे पैर नहीं सोना चाहिए. सूखे पैर सोने से लक्ष्मी (धन) की प्राप्ति होती है. (अत्रिस्मृति) टूटी खाट पर तथा जूठे मुंह सोना वर्जित है. (महाभारत)
- नग्न होकर नहीं सोना चाहिए. (गौतमधर्मसूत्र)
- पूर्व की तरफ सिर करके सोने से विद्या, पश्चिम की ओर सिर करके सोने से प्रबल चिन्ता, उत्तर की ओर सिर करके सोने से हानि व मृत्यु, तथा दक्षिण की तरफ सिर करके सोने से धन व आयु की प्राप्ति होती है. (आचारमय़ूख)
- दिन में कभी नही सोना चाहिए. परन्तु ज्येष्ठ मास मे दोपहर के समय एक मुहूर्त (48 मिनट) के लिए सोया जा सकता है. (दिन मे सोने से रोग घेरते है तथा आयु का क्षरण होता है)
- दिन में तथा सुर्योदय एवं सुर्यास्त के समय सोने वाला रोगी और दरिद्र हो जाता है. (ब्रह्मवैवर्तपुराण)
- सूर्यास्त के एक प्रहर (लगभग 3 घंटे) के बाद ही शयन करना चाहिए).
- बायीं करवट सोना स्वास्थ्य के लिये हितकर हैं.
- दक्षिण दिशा में पाँव करके कभी नही सोना चाहिए. यम और दुष्टदेवों का निवास रहता है. कान में हवा भरती है. मस्तिष्क में रक्त का संचार कम को जाता है स्मृति- भ्रंश, मौत व असंख्य बीमारियाँ होती है.
- हृदय पर हाथ रखकर, छत के पाट या बीम के नीचें और पांव पर पाँव चढ़ाकर निद्रा न लें.
- शय्या पर बैठकर खाना-पीना अशुभ है.
- सोते सोते पढना नही चाहिए. (ऐसा करने से नेत्र ज्योति घटती है )
- ललाट पर तिलक लगाकर सोना अशुभ है. इसलिये सोते वक्त तिलक हटा दें.
इन 16 नियमों का अनुकरण करने वाला यशस्वी निरोग और दीर्घायु हो जाता है
Source : DRIGRAJ MADHESHIA