नवरात्रि (Navaratri 2019) के चौथे दिन 2 अक्टूबर 2019 दिन बुधवार को चतुर्थी तिथि के दिन मां कूष्मांडा ( Maa Kushmanda) की पूजा करें. इस दिन इन्हें पेठे का भोग लगाया जाता है. वहीं मालपुआ से मां कुष्मांडा ( Maa Kushmanda) बेहद प्रसन्न होती हैं. मां के कुष्मांडा ( Maa Kushmanda) के इस रूप की कृपा से निर्णंय लेने की क्षमता में वृद्धि एवं मानसिक शक्ति अच्छी रहती हैं.
आठ भुजाओं वाली मां कूष्मांडा (( Maa Kushmanda) के तेज और प्रकाश से दसों दिशाएं प्रकाशित हो रही हैं. ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में अवस्थित तेज इन्हीं की छाया है. अतः ये अष्टभुजा देवी ( Maa Kushmanda) के नाम से भी विख्यात हैं. इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है. आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है.
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सिंह पर सवार मां कूष्मांडा ( Maa Kushmanda) की उपासना से सिद्धियों में निधियों को प्राप्त कर समस्त रोग-शोक दूर होकर आयु-यश में वृद्धि होती है. साथ ही मां कूष्माण्डा ( Maa Kushmanda) की उपासना मनुष्य को आधियों-व्याधियों से सर्वथा विमुक्त करके उसे सुख, समृद्धि और उन्नति की ओर ले जाने वाली है.
मां कूष्मांडा ( Maa Kushmanda) की पूजन विधि
नवरात्रि (Navaratri 2019) के चौथे दिन माता कूष्माण्डा ( Maa Kushmanda) की पूजा अर्चना करनी चाहिए. पूजा का विधान उसी प्रकार है जिस प्रकार शक्ति अन्य रुपों को पूजन किया गया है. इस दिन भी सर्वप्रथम कलश और उसमें उपस्थित देवी देवता की पूजा करनी चाहिए.
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तत्पश्चात माता के साथ अन्य देवी देवताओं की पूजा करनी चाहिए, इनकी पूजा के पश्चात देवी कूष्माण्डा ( Maa Kushmanda) की पूजा करनी चाहिए. पूजा की विधि शुरू करने से पूर्व हाथों में फूल लेकर देवी को प्रणाम करना चाहिए तथा पवित्र मन से देवी का ध्यान करें.
मां कूष्माण्डा के मंत्र ( Maa Kushmanda Ke Mantra)
1.या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता.नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:..
2.वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्.सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्विनीम्॥
3.सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च. दधाना हस्तपद्मा याम कुष्मांडा शुभदास्तु मे..
4.ॐ कूष्माण्डायै नम:
मां कूष्माण्डा की कथा
मां कूष्माण्डा ( Maa Kushmanda) को आदिशक्ति का चौथा रूप माना जाता है. इनमें सूर्य के समान तेज है. मां का निवास सूर्यमंडल के भीतर माना जाता है. जहां कोई भी निवास नहीं कर सकता.मां कूष्माण्डा( Maa Kushmanda) की पूजा अर्चना से सभी प्रकार के रोगों का नाश होता है.
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उनकी मुस्कान हमें यह बताती है कि हमें हर परिस्थिति का हंसकर ही सामना करना चाहिए. मां ( Maa Kushmanda) की हंसी और ब्राह्माण्ड को उत्पन्न करने के कारण ही इन्हें कूष्माण्डा देवी कहा जाता है. जिस समय सृष्टि नहीं थी. चारों और अंधकार ही था तब देवी ( Maa Kushmanda) ने अपनी हंसी से ही ब्राह्माण्ड की रचना की थी.
मां कूष्माण्डा की आरती ( Maa Kushmanda ki Arti)
कूष्मांडा जय जग सुखदानी. मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली. शाकंबरी माँ भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे . भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा. स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदंबे. सुख पहुँचती हो माँ अंबे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा. पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
माँ के मन में ममता भारी. क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा. दूर करो माँ संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो. मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए. भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो