उत्तर प्रदेश के आगरा के शमसाबाद के गांव खेड़ा में एक विशाल संत समागम का आयोजन किया गया है. इसमें देशभर के साधु-संत, धर्माचार्य, महामंडलेश्वर और कथावाचक शामिल हुए. इस संत समागम में मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि, काशी के ज्ञानवापी मंदिर और आगरा के ताजमहल जिसे तेजोमहालय कहा जाता है, की मुक्ति के लिए विशेष रूप से आवाज उठाई गई. इन स्थानों के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को देखते हुए संतों ने इन्हें हिंदू संस्कृति का अभिन्न हिस्सा बताते हुए इनकी पुनः स्थापना की मांग की. समागम के दौरान वक्ताओं ने अपने विचार रखते हुए कहा कि यह समय है जब हिंदू समाज को अपने धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा के लिए एकजुट और जागरूक होने की आवश्यकता है.
मथुरा, काशी, और ताजमहल मुक्ति पर हुंकार
समागम के मुख्य मुद्दों में से एक मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि की मुक्ति थी. वक्ताओं ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि को पुनः प्राप्त करने के लिए हिंदू समाज को संगठित और जागरूक होना चाहिए. काशी के ज्ञानवापी मंदिर की मुक्ति भी एक प्रमुख मुद्दा था जहां संतों ने कहा कि यह मंदिर हिंदू धर्म (hindu religion) की गौरवशाली धरोहर है और इसे पूर्ण रूप से हिंदू समाज को सौंपा जाना चाहिए. आगरा के ताजमहल को लेकर भी तेजोमहालय की मुक्ति की मांग की गई. संतों का कहना था कि यह प्राचीन शिव मंदिर है और इसे हिंदू समाज को पुनः सौंपा जाना चाहिए. ताजमहल की प्राचीन धार्मिक धरोहर के बारे में कई संतों ने अपने विचार व्यक्त किए और कहा कि यह केवल एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि एक धार्मिक स्थल है जिसे उसकी वास्तविक पहचान दिलाने की जरूरत है.
सनातन धर्म की रक्षा का आह्वान
समागम के दौरान संतों और धर्माचार्यों ने सनातन धर्म (sanatan dharm) की रक्षा के लिए जोरदार हुंकार भरी. उनका कहना था कि समय आ गया है कि हिंदू समाज अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक जड़ों को पुनः स्थापित करने के लिए संगठित हो. वक्ताओं ने कहा कि सनातन धर्म पर हो रहे हमलों के खिलाफ हिंदू समाज को सतर्क और सजग रहने की आवश्यकता है.
हिंदुओं को एकजुट करने की अपील
समागम में संतों और धर्माचार्यों ने हिंदू समाज के एकजुट होने की अपील की. उनका कहना था कि धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए समाज को आपसी भेदभाव, जाति, वर्ग, और क्षेत्रीयता से ऊपर उठकर एक साथ आना होगा. वक्ताओं ने कहा कि हिंदू समाज के एकजुट होने पर ही धार्मिक धरोहरों की रक्षा और सनातन धर्म (sanatan dharm) की समृद्धि संभव है. समागम में इस बात पर भी जोर दिया गया कि हिंदुओं को अपने धर्म के इतिहास (history of dharm) और धार्मिक स्थलों के प्रति गर्व महसूस करना चाहिए और उनकी रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए.
आगरा में आयोजित इस संत समागम ने एक महत्वपूर्ण संदेश दिया कि सनातन धर्म की रक्षा और धार्मिक स्थलों की पुनः प्राप्ति के लिए हिंदू समाज को संगठित और सजग होना होगा.
रिपोर्ट: विनीत दूबे
Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप न्यूज़ नेशन के धर्म-कर्म सेक्शन के साथ ऐसे ही जुड़े रहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)